बंगाली समाज के प्रबुद्धजनों की ओर से किया जा रहा विरोध-प्रदर्शन रंग लाया. सोमवार को दुर्गाचरण प्राथमिक विद्यालय स्थित मशहूर उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की प्रतिमा के सामने बन रहे मंच को डीईओ के निर्देश पर स्कूल प्रबंधन समिति ने ताेड़वाने का काम शुरू कराया. इधर, प्रभात खबर ने बंगाली समाज के प्रबुद्धजनों से बातचीत की और धरोहर को संजोने के क्रिया-कलापों से अवगत हुए. एक स्वर में उन्होंने कहा कि शरतचंद्र एक समाज के नहीं, बल्कि सिल्क सिटी, बिहार व देश के लिए धरोहर हैं. उनकी स्मृति चिह्न को बचाना व संजोना सभी का कर्तव्य है.
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मशहूर उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की बाल्यावस्था, किशोरावस्था और प्रारंभिक-माध्यमिक शिक्षा भागलपुर से जुड़ी हुई है. आदमपुर के दुर्गा चरण प्राथमिक विद्यालय में विद्या ग्रहण कर उन्होंने नाम रोशन किया.डॉ शंकर कुमार, वरीय चिकित्सक सह उपाध्यक्ष बिहार बंगाली समिति
———-अमर कथा शिल्पी शरतचंद्र का बचपन और छात्र जीवन का अधिकांश समय भागलपुर में बीता. 10 साल की उम्र में 1886 में शरतचंद्र दुर्गा चरण प्राथमिक विद्यालय में दाखिल हुआ. उनका सम्मान सभी का सम्मान है.
अंजन भट्टाचार्य, सचिव, बंगीय साहित्य परिषद, भागलपुर—————-
लगभग 50 साल पहले शरदचंद्र चट्टोपाध्याय की प्रतिमा दुर्गाचरण छात्र संघ द्वारा लगायी गयी थी. भागलपुरवासियों को पता चले कि शरतचंद्र चट्टोपाध्याय दुर्गा चरण प्राथमिक विद्यालय में अपनी शिक्षा प्राप्त किये थे.शुभंकर बागची, सचिव, बिहार बंगाली समिति, भागलपुर शाखा
————-शरतचंद्र चट्टोपाध्याय 1876-1938 तक भारतीय साहित्य के एक प्रमुख स्तंभ थे. भागलपुर की प्राकृतिक सुंदरता और यहां का शांत वातावरण उनके साहित्य पर प्रभाव डाला. सरल और प्रभावशाली शैली में लिखे गये उनके साहित्य ने भारतीय समाज को गहराई से प्रभावित किया.
निरुपम कांति पाल, पूर्व सचिव, बिहार बंगाली समिति, भागलपुर शाखा————–
2022 में उनकी प्रतिमा का जीर्णोद्धार कर नयी प्रतिमा स्थापना तत्कालीन जिलाधिकारी सुब्रत सेन के हाथों करायी गयी. दुखद है जिस स्कूल में शरदचंद्र ने शिक्षा ली, उसी स्कूल में उनका अपमान हो रहा है. राजा शिवचंद्र ने दुर्गा चरण स्कूल अपने पिता के नाम पर बनाया था. उनके पुत्र कुमार साहब शरत चंद्र के मित्र थे.
रत्ना मुखर्जी, अध्यक्ष, बिहार बंगाली समिति, भागलपुर शाखा—————–
शरतचंद्र के उपन्यास और कहानियां समाज के यथार्थ, मानवीय भावनाओं और संघर्षों को गहराई से प्रस्तुत करती है. देवदास, परिणीता, चरित्रहीन और श्रीकांत प्रमुख कृतियां हैं. देश के विभिन्न हिस्सों से लोग आते हैं, तो स्कूल देख नहीं पाते. स्कूल की एक चाबी समाज के प्रबुद्धजन को मिले.समुज्जवल गांगुली, शरतचंद्र के रिश्तेदार
————शरतचंद्र चट्टोपाध्याय का भागलपुर से गहरा संबंध था. अपने जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष भागलपुर में बिताये. भागलपुर ऐसा स्थान था, जहां उन्होंने अपने लेखन को गहराई से विकसित किया. प्रतिमा के सामने मंच बनाना अपमानजनक है.
स्वर्णाली गांगुली, शरतचंद्र के रिश्तेदार———–
शरतचंद्र की प्रारंभिक पढ़ाई दुर्गाचरण प्राथमिक विद्यालय में हुई. 1894 में टीएनबी कॉलेजिएट स्कूल से इंट्रेंस पास किया. दूर-दूर से उन्हें जानने के लिए दूसरे लोग आते हैं. उनकी यादों को मिटाना अनुचित है. प्रतिमा के सामने कुछ नहीं बने.शांतनु गांगुली, शरतचंद्र के ममेरे भाई का पुत्र
————-दुर्गा चरण प्राइमरी स्कूल में शरतचंद्र ने पहली कक्षा से पढ़ाई शुरू की. स्कूल से बांग्ला भाषा में अंकित बोर्ड को हटा दिया गया. फिर प्रतिमा के सामने मंच बना दिया गया. हर भाषा-भाषी के समर्थन से आंदोलन किये. मंच को अब तोड़ा जा रहा है. अधिकार छीनने की कोशिश होगी, तो आंदोलन को आगे बढ़ायेंगे.
– तापस घोष, ज्वाइंट सेक्रेटरी, बिहार बंगाली सेंट्रल कमेटीडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है