नवमी में दो से 10 वर्ष तक की कन्याओं को भोजन कराना अत्यंत लाभकारी
नवमी तिथि के दिन हवन और कन्या पूजन का विधान स्पष्ट है. पंडित अंजनी शर्मा ने बताया कि नवरात्रि के आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है.
नवमी तिथि पर हवन व कन्या पूजन का स्पष्ट है विधान
दो वर्ष की कन्या के पूजन से दुःख और दरिद्रता दूर होती है
पंडित आरके चौधरी ने बताया कि कन्या पूजन करने के लिए सबसे पहले कन्याओं को आमंत्रण देकर आयें. साथ ही 2 से 10 साल तक की कन्याओं को ही आमंत्रण दें. दो वर्ष की कन्या (कुमारी) के पूजन से दुःख और दरिद्रता मां दूर करती हैं. साथ ही तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति रूप में पूजी जाती है और त्रिमूर्ति कन्या के पूजन से धन-धान्य आता है. वहीं चार वर्ष की कन्या को कल्याणी माना जाता है और इनकी पूजा से परिवार का कल्याण होता है. इसके साथ ही पांच वर्ष की कन्या रोहिणी कहलाती है और रोहिणी पूजन से व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है. छह वर्ष की कन्या को कालिका रूप कहा गया है और कालिकी रूप से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है. सात वर्ष की कन्या का रूप चंडिका माना जाता है. चंडिका रूप के पूजन से ऐश्वर्य-धन की प्राप्ति होती है. आठ वर्ष की कन्या शाम्भवी कहलाती है. इनका पूजन करने से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है. वहीं नौ वर्ष की कन्या को दुर्गा का रूप माना जाता है. इनके पूजन से शत्रुओं का नाश होता है. वहीं, दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है. सुभद्रा अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.नवमी तिथि पर पूजा का शुभ मुहूर्त
इस बार शारदीय नवरात्र की नवमी तिथि 11 अक्टूबर को दोपहर 12.06 बजे से शुरू होकर 12 अक्टूबर की सुबह 10.57 बजे पर समाप्त होगी. अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को दोपहर 12.31 बजे से शुरू हो रही है, जो अगले दिन 11 अक्टूबर को दोपहर 12.06 बजे समाप्त होगी. ऐसे में अष्टमी और नवमी तिथि का व्रत 11 अक्टूबर को रखा जायेगा. 11 अक्टूबर 2024 को सिंहवाहिनी की आराधना के लिए तीन शुभ मुहूर्त है. अष्टमी और नवमी तिथि पर आध्या शक्ति की पूजा का समय सुबह 06.20 से 07.47 बजे तक है. उन्नति मुहूर्त सुबह 07.47 से 09.14 बजे तक है. वहीं, अमृत मुहूर्त सुबह 09.14 बजे से 10.41 बजे तक है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है