समरसता एवं सामंजस्य के पुरोधा थे जननायक कर्पूरी ठाकुर : संतोष सिंह
कैंप विहार सामाजिक संस्था के बैनर तले शुक्रवार को मंदरोजा खाटू श्याम मंदिर परिसर स्थित प्रशाल में जन नायक कर्पूरी ठाकुर : समरसता एवं सामंजस्य के पुरोधा विषयक संगोष्ठी हुई.
कैंप विहार सामाजिक संस्था के बैनर तले शुक्रवार को मंदरोजा खाटू श्याम मंदिर परिसर स्थित प्रशाल में जन नायक कर्पूरी ठाकुर : समरसता एवं सामंजस्य के पुरोधा विषयक संगोष्ठी हुई. मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक संतोष सिंह ने कहा कि आजादी, समाजवाद और किसान आंदोलन से उपजा हुआ व्यक्तित्व था. कर्पूरी ठाकुर बिहार के उप मुख्यमंत्री सह शिक्षा मंत्री एवं दो बार मुख्यमंत्री रहे. कर्पूरी ठाकुर ने ही अति पिछड़ा, पिछड़ा, महिलाओं एवं गरीब सवर्णों को कुल 26 प्रतिशत आरक्षण देकर, वृद्धजन पेंशन की आधारशिला रखकर, स्थानीय व मातृ भाषा को महत्व देकर असाधारण कार्य करने का साहस किया.
इससे पहले कार्यक्रम का उद्धघाटन महापौर डॉ बसुंधरा लाल, जिला परिषद अध्यक्ष अध्यक्ष मिथुन कुमार, जिला परिषद उपाध्यक्ष प्रणव कुमार, राजीवकांत मिश्रा, चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष श्रवण बाजोरिया, कैंप बिहार की संयोजक डॉ प्रीति शेखर, रामगोपाल पोद्दार, नभय चौधरी, नीलेश कोटरीवाल,अशोक भिवानीवाला ने संयुक्त रूप से किया.अतिथियों का स्वागत कैंप बिहार के सदस्य मनीष मिश्रा, विकास सिंह, जुगल सिंह, दीपक केडिया, सूरज शर्मा, सुनील मालाकार, गुंजन कुमार, बबलू राय आदि ने किया. कार्यक्रम का विषय प्रवेश कराते हुए डॉ प्रीति शेखर ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर एकलौते नेता रहे, जिन्हें बिहार में मुख्यमंत्री के अल्प कार्यकाल के लिए नहीं जाना जाता, बल्कि इस अल्प समय में बड़ा प्रभाव डालने के लिए जाना जाता है. कर्पूरी समाजवादी नींव के ऐसे पत्थर हैं, जिन्हें देखा तो नहीं जा सकता, लेकिन उसपर समाजवाद की पूरी इमारत खड़ी है. कर्पूरी ठाकुर ने उपमुख्यमंत्री रहते हुए बताया कि मुख्यमंत्री से ज्यादा उप मुख्यमंत्री भी लोकप्रिय हो सकते हैं. अपनी मृत्यु के बाद भी जिनका कद बढ़ता गया, ऐसा व्यक्तित्व था कर्पूरी ठाकुर का.
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