संजीव, भागलपुर: एकीकृत बिहार का तीसरा सबसे पुराना और 71 साल से भागलपुर का मनोरंजन कर रहा सिनेमा हॉल जवाहर टॉकिज स्थायी तौर पर बंद हो गया. जिले में अब तक 12 सिनेमा हॉल बीते वर्षों में बंद हो चुके हैं. जवाहर टॉकिज की स्थापना 8.10.1950 को बरारी इस्टेट के जमींदार नरेश मोहन ठाकुर ने की थी. पहली फिल्म ‘गणेश जन्म’ लगी थी और इस वर्ष 13 मार्च को आखिरी फिल्म ‘पवनपुत्र’ लगी और अगले दिन 14 मार्च से कोरोना वायरस से लॉकडाउन में सिनेमा हॉल ही बंद हो गया. इसके मालिक ने अब इसे स्थायी तौर पर बंद करने का फैसला ले लिया है.
नरेश बाबू कांग्रेस पार्टी से एमएलसी थे. इस कारण देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से वह काफी भावनात्मक रूप से जुड़े थे. सिनेमा हॉल के वर्तमान मालिक प्रेमेंद्र मोहन ठाकुर बताते हैं कि इसी वजह से उन्होंने अपने सिनेमा हॉल का नाम जवाहर टॉकिज रखा था.
जवाहर टॉकिज के पहले मैनेजर थे दुर्गानाथ ठाकुर. दुर्गानाथ ठाकुर एकाउंट्स के जाने माने विद्वान थे. फिर शालिग्राम सिंह और वर्ष 1972 के बाद से शोभानंद झा मैनेजर रहे.
Also Read: दहेज की मांग से परेशान विवाहिता के पिता ने कुएं में कूदकर दी जान, बेटी का घर बसाने खेत बेचकर दामाद को दी थी मोटरसाइकिल
1951 में पृथ्वीराज कपूर यहां पिक्चर पैलेस सिनेमा हॉल में आये थे. इस दौरान वह जवाहर टॉकिज भी गये थे. सिनेमा हॉल देख वह इतने प्रभावित हुए और निर्देश दे गये कि राजकपूर से जुड़ी सारी रिलीजिंग फिल्में यहां पर चलेंगी.
1951 में आवारा, 1955 में श्री 420, 1956 में चाेरी-चोरी व जागते रहो, 1960 में जिस देश में गंगा बहती है, 1964 में संगम, 1970 में मेरा नाम जोकर, 1972 में कल आज और कल, 1974 में बॉबी, 1978 में सत्यम शिवम सुंदरम, 1985 में राम तेरी गंगा मैली चली. राज कपूर की आखिरी फिल्म हीना 1991 में लगी थी. राजकपूर की सारी फिल्मों का पोस्टर तैयार करने के लिए कोलकाता से पेंटर आया करते थे.
1972 में हरे राम हरे कृष्ण फिल्म में जेनेरेटर का यहां उद्घाटन हुआ था. इससे पहले बिजली से ही फिल्में चलती थी. बिजली तब दो-तीन मिनट के लिए ही कटती थी.
1968 में दो कलियां फिल्म लगी थी. फिल्म के प्रचार-प्रसार करने का दूसरा कोई साधन नहीं हुआ करता था. तब हॉल के मालिक ने फिल्म में दम को देखते हुए अपने कर्मचारी भेज कर पूरे भागलपुर में एक हजार कैलेंडर चिपकाया था.
Also Read: कुख्यात अपराधी के घर छापेमारी करने गई पुलिस दल पर बम से हमला, भारी मात्रा में हथियार बरामद, सहयोगी संग आरोपित गिरफ्तार
आज भी अभिनेता अमजद खान की फिल्म ‘शोले’ में गब्बर सिंह की भूमिका कोई भूला नहीं है. 7.11.1974 को जब जवाहर टॉकिज में फिल्म शोले लगी थी, तो टिकट काउंटर के सामने दर्शकों का टूट पड़ना आज भी यहां के पुराने कर्मचारी भूल नहीं पाये हैं. यह फिल्म 22 सप्ताह तक लगातार चली थी. यह रिकॉर्ड आज तक दूसरी कोई फिल्म तोड़ नहीं पायी.
भागलपुर का फिल्म जगत से पुराना नाता रहा है. भागलपुर किशोर कुमार और अशोक कुमार जैसी फिल्मी हस्तियों का ननिहाल है. जबकि देवदास जैसी ब्लॉक बस्टर फ़िल्म की कहानी की रचना भी भागलपुर में ही हुई थी.
1. पिक्चर पैलेस, भागलपुर
2. महादेव टॉकिज, भागलपुर
3. शारदा टॉकिज, भागलपुर
4. शंकर टॉकिज, भागलपुर
5. अजंता टॉकिज, भागलपुर
6. प्रेम चित्र मंदिर, सबौर
7. कल्पना टॉकिज, कहलगांव
8. नवचित्र मंदिर, कहलगांव
9. सविता टॉकिज, सुलतानगंज
10. नवगछिया कृष्णा चित्र मंदिर
11. नवगछिया दुर्गा चित्र मंदिर
12. नवगछिया मोहन चित्र मंदिर
जवाहर टॉकिज सिनेमा हॉल के मालिक प्रेमेंद्र मोहन ठाकुर ने बताया कि समय बदल चुका है. अब दर्शकों की भारी कमी है. खर्च बढ़ता जा रहा है. इस कारण जवाहर टॉकिज बंद कर दिया गया. यहां मॉल बनाया जायेगा. मॉल में एक मल्टीप्लेक्स भी होगा, जिसमें दर्शक फिल्में देख सकेंगे. लिहाजा दर्शकों को निराश होने की जरूरत नहीं है.
Posted by: Thakur Shaktilochan