Bihar politics: भागलपुर लोकसभा सीट गठबंधन के तहत पिछले दो आम चुनावों में अपने हिस्से करने के बाद जदयू की नजर अब भागलपुर विधानसभा सीट पर भी है. जदयू की एक बैठक में इसका राग छेड़ा गया. रविवार को शहर के सराय स्थित एक होटल में महानगर जिला जनता दल (यू) की संगठनात्मक बैठक हुई. जिसमें आगामी विधानसभा चुनाव में इस सीट पर दावेदारी की बात प्रमंडल प्रभारी प्रह्लाद सरकार ने की. जिले में संगठन की मजबूती को लेकर आवश्यक निर्देश भी पार्टी पदाधिकारियों को दिए.
जदयू की बैठक में दावेदारी का राग छिड़ा
भागलपुर विधानसभा सीट पर उम्मीदवारी को लेकर एकतरफ जहां भाजपा में कई नेता उम्मीद लगाए बैठे हैं तो वहीं दूसरी ओर जदयू की एक बैठक ने अब इस सीट के चुनाव को लेकर नया मोड़ ला दिया है.रविवार को सराय स्थित एक होटल सभागार में महानगर जिला जनता दल यू की संगठनात्मक बैठक हुई. जिसकी अध्यक्षता महानगर अध्यक्ष संजय साह ने की. इस बैठक में मुख्य अतिथि के तौर पर भागलपुर प्रमंडल प्रभारी प्रह्लाद सरकार और जदयू के भागलपुर विधानसभा प्रभारी राजेश कुशवाहा थे. संगठन के कामकाज को लेकर इस दौरान चर्चा हुई. वहीं इस सीट पर जदयू की दावेदारी को लेकर प्रमंडल प्रभारी ने कार्यकर्ताओं में अलग आस जगा दी है.
क्या बोले भागलपुर प्रमंडल प्रभारी?
प्रहलाद सरकार ने कहा कि भागलपुर महानगर संगठन बहुत मजबूत है. आगामी विधानसभा चुनाव में भागलपुर शहर की सीट पर हमारी दावेदारी बनती है. इसके लिए आला कमान से बात करेंगे. हर वार्ड में जाकर वार्ड अध्यक्ष को उनका संगठन मजबूत करने में सहयोग करने का निर्देश उन्होंने सभी सेक्टर अध्यक्षों व प्रभारियों को दिया है.
भाजपा के पास से जदयू को मिल चुकी है लोकसभा सीट
गौरतलब है कि भागलपुर लोकसभा और विधानसभा सीट पर कभी भाजपा का मजबूत कब्जा रहा. लोकसभा की बात करें तो यहां से आखिरी बार यहां से भाजपा के शाहनवाज हुसैन सांसद बने. 2014 के चुनाव में उनकी हार हुई और राजद का झंडा यहां मजबूत हुआ तो 2019 के चुनाव में गठबंधन के तहत यह सीट जदयू के पास चली गयी थी. अबतक यह लोकसभा सीट जदयू के ही पास है. वहीं विधानसभा सीट की बात करें तो लंबे समय तक भागलपुर विधानसभा सीट पर भाजपा का झंडा गड़ा रहा. भाजपा के अश्विनी चौबे भी यहां से विधायक रहे. वहीं इस सीट पर एनडीए की तरफ से अबतक भाजपा ही उम्मीदवार देती रही है.
भाजपा नेताओं में टिकट की उम्मीद, इधर जदयू ने गरमा दी राजनीति
भागलपुर में भाजपा के अंदर कई लोग उम्मीदवारी को लेकर प्रयास कर सकते हैं. पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच यह चर्चा बढ़ती जा रही है कि इसबार भाजपा का टिकट किसे मिलेगा. बता दें कि पिछली बार भाजपा ने पूर्व जिलाध्यक्ष रोहित पांडेय को टिकट थमाया था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इससे पहले अश्विनी चौबे के पुत्र अर्जित चौबे उम्मीदवार बने थे लेकिन जीत का स्वाद अर्जित नहीं चख सके थे. दोनों के समर्थक इसबार अपने नेता को टिकट मिलने की आस में हैं. वहीं भाजपा के कई अन्य कार्यकर्ता व पदाधिकारियों को भी उम्मीद है कि शायद पार्टी उन्हें टिकट थमा सकती है. हालांकि पार्टी स्तर से अभी इसओर कोई सुगबुगाहट नहीं है. इस बीच जदयू की बैठक में सीट पर दावेदारी की चर्चा ने राजनीति और गरमा दी है.