वीरता की प्रतिमूर्ति थी झलकारी बाई
Jhalkari Bai was the epitome of bravery
सामाजिक संस्था स्वाभिमान की ओर से मंदरोजा स्थित संस्थान में स्वतंत्रता सेनानी झलकारी बाई की जयंती पर कार्यक्रम हुआ. वक्ताओं ने कहा कि झलकारी बाई वीरता की प्रतिमूर्ति थी. अध्यक्षता संस्था के संस्थापक जगतराम साह ने की. रंजन कुमार राय ने कहा कि झलकारी बाई महारानी लक्ष्मीबाई की दुर्गा दल की अहम योद्धा थी. झलकारी बाई ने प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महारानी लक्ष्मीबाई के साथ मिल कर महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. डॉ संतोष ठाकुर ने अपने विचार रखे. इस मौके पर प्रेम कुमार सिंह, अजय शंकर प्रसाद, संजय कुमार, दिलीप दास, नवल किशोर और महेंद्र दास आदि उपस्थित थे.
झलकारी बाई की वीरगाथा को लोगों तक पहुंचाने का लिया संकल्प
लोदीपुर थाना अंतर्गत बसंतपुर में स्वतंत्रता सेनानी झलकारी बाई की जयंती पर शुक्रवार कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें मानवाधिकार संगठन के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया. वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता ओमप्रकाश प्रसाद एवं रामविलास सिंह ने कहा कि वीरांगना झलकारी बाई की वीरगाथा को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है. इतिहास के पन्नों से उनका नाम गुम हो गया, जबकि अपनी साहस व शौर्य से झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जान बचायी थी. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के साथ अंग्रेजों से जमकर मुकाबला की थी. देश की आजादी के लिए खुद को कुर्बान कर दिया. उनका जन्म 22 नवंबर 1830 को झांसी के समीप भोजला गांव में हुआ था. इस मौके पर उमेश बौद्ध, रंजीत सिंह, राजेन्द्र सिंह, डाॅ भवेश सिंह कुशवाहा तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं आरटीआई जागरूकता संगठन भारत के प्रदेश अध्यक्ष सुमित कुमार, मीडिया प्रकोष्ठ प्रदेश अध्यक्ष विभूति सिंह, युवा प्रकोष्ठ प्रदेश अध्यक्ष संजीव कुमार, बांका जिले के युवा प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष कार्तिक कुमार, आरटीआई प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष संजीव कुमार, स्वास्थ्य प्रकोष्ठ जिला उपाध्यक्ष मनोज मंडल,जिला कार्यकारिणी सदस्य नवीन कुमार सिंह आदि उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है