Covid-19 Bhagalpur: प्रधान सचिव ने कोरोना मरीज बन कॉल कर मांगा एंबुलेंस, कर्मचारी ने डांटकर कहा- यहां कोई सुविधा नहीं, रखो फोन…
भागलपुर के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जिला प्रशासन की ओर से बनाये गये कोविड(COVID-19) कंट्रोल रूम में सोमवार शाम प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने कॉल किया. खुद से कॉल कर प्रधान सचिव यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल जानने चाहते थे. रिंग होते ही कॉल सेंटर में तैनात एक अमीन ने फोन उठाया. प्रधान सचिव ने पूछा कि कोरोना पॉजिटिव( Corona Positive) मरीज हैं. हमें एंबुलेंस की सेवा चाहिए. कोरोना का इलाज कहां कराना है. जरा इसकी जानकारी दें. हमें एंबुलेंस उपलब्ध करा दें. कॉल सेंटर पर नियुक्त कर्मचारी ने प्रधान सचिव को ही डांट कर कहा गया यहां कोई सुविधा नहीं है. कोई एंबुलेंस नहीं है. बेकार कॉल कर रहे हैं.
भागलपुर के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जिला प्रशासन की ओर से बनाये गये कोविड(COVID-19) कंट्रोल रूम में सोमवार शाम प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने कॉल किया. खुद से कॉल कर प्रधान सचिव यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल जानने चाहते थे. रिंग होते ही कॉल सेंटर में तैनात एक अमीन ने फोन उठाया. प्रधान सचिव ने पूछा कि कोरोना पॉजिटिव( Corona Positive) मरीज हैं. हमें एंबुलेंस की सेवा चाहिए. कोरोना का इलाज कहां कराना है. जरा इसकी जानकारी दें. हमें एंबुलेंस उपलब्ध करा दें. कॉल सेंटर पर नियुक्त कर्मचारी ने प्रधान सचिव को ही डांट कर कहा गया यहां कोई सुविधा नहीं है. कोई एंबुलेंस नहीं है. बेकार कॉल कर रहे हैं.
हम किसी भी प्रधान सचिव को नहीं जानते हैं. हर कोई खुद को अधिकारी ही समझता है- कर्मचारी
यह सुन प्रधान सचिव ने अपना परिचय दिया. फिर उस कर्मचारी ने कहा कि हम किसी भी प्रधान सचिव को नहीं जानते हैं. हर कोई खुद को अधिकारी ही समझता है. यह कह कर अमीन ने रांग नंबर कह कर कॉल रख दिया. इसके बाद प्रधान सचिव ने सीधे सिविल सर्जन को कॉल लगा दिया. व्यवस्था देख कर प्रधान सचिव काफी नाराज थे. जिसका असर यह हुआ कि भागे भागे सीएस रात नौ बजे सदर अस्पताल पहुंचे. सीएस को निर्देश दिया गया कि व्यवस्था में सुधार करें. इस निर्देश का असर यह रहा कि मंगलवार को कॉल सेंटर में किसी का कॉल लगा ही नहीं.
कंट्रोल रूम का संचालन जिला प्रशासन स्तर से : प्राचार्य
मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ हेमंत कुमार सिन्हा ने कहा कि कंट्रोल रूम का संचालन जिला प्रशासन स्तर से होता है. हमारे यहां से डॉक्टर और कंप्यूटर ऑपरेटर और टेलीफोन के साथ जगह मांगा गया था. कंट्रोल रूम का देखरेख डीएम के स्तर से होता है. इसमें हम लोगों को कोई रोल नहीं है. प्रधान सचिव का कॉल आया था और अमीन ने इसे रिसिव किया था. पूछताछ के बाद अमीन का कहना है कि उसने ठीक से बात की थी. वहीं सिविल सर्जन का कहना है कि यह हमारा मामला नहीं है. मामले की जांच कर व्यवस्था में सुधार करने के लिए कहा गया है.
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आखिर किसकी जिम्मेदारी है कॉल सेंटर
मायागंज अस्पताल में कोरोना से लगातार हो रही मौत के बाद यहां सरकार ने एक आइएएस और आइपीएस को नियुक्त किया था. इन दोनों ने कोरोना मरीज को सुविधा देने के लिए कॉल सेंटर सरकार के निर्देश पर बनाया. अब ये दोनों अधिकारी जा चुके हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि इस सेंटर को देखने वाले कौन हैं. क्योंकि प्राचार्य और सीएस ने सीधे कह दिया है कि ये हमारे अंदर की चीज नहीं है.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya