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खालसा मेरो रूप है खास, खालसे में हो करो निवास…

गुरुद्वारा गुरू सिंह सभा में 325 वां वैसाखी गुरु पर्व खालसा के स्थापना दिवस के रूप में मनाया गया.

गुरुद्वारा गुरू सिंह सभा में 325 वां वैसाखी गुरु पर्व खालसा के स्थापना दिवस के रूप में मनाया गया. इस अवसर पर खालसा मेरो रूप है खास, खालसे में हो करो निवास… उक्त सबद-कीर्तन सरदार जसपाल सिंह व भाई संजय सिंह ने शनिवार को वैसाखी उत्सव पर गुरुद्वारा में गाया.

गुरु गोविंद सिंह ने की थी खालसा की स्थापना

फिर गुरुद्वारा ग्रंथी सरदार जसपाल सिंह ने पीओ पाहुल खंडेधार, वे जनम सोहेला, वाहो-वाहो गुरु गोविंद सिंह, आपे गुरु चेला… भजन गाया तो माहौल भक्तिमय हो गया. वैशाखी उत्सव के बारे में अध्यक्ष सरदार ताजेंद्र सिंह सचदेवा ने कहा कि 1699 में गुरु गोविंद सिंह ने वैशाखी के दिन देश की एकता, अखंडता एवं धर्म निरपेक्षता के लिए पंच प्यारे को अमृत पिला कर जीवित करने का कार्य किया. इसे तभी से साजना दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं. यह 325 वां साजना दिवस है. वैशाखी को सिख नववर्ष के रूप में भी मनाते हैं. मीडिया प्रभारी सरदार हर्षप्रीत सिंह ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह ने जयकारा का नारा दिया वाहे गुरु का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह. खालसा वाहे गुरु अर्थात परमात्मा का है तथा जीत परमात्मा की है. विश्व के इतिहास में यह पहला मौका है, जब वं गुरु ने अपने शिष्यों से दीक्षा ली. गुरुद्वारा ग्रंथी सरदार जसपाल सिंह ने कहा आज वैशाखी के दिन हमें आदर्श को कायम रखने के लिए संघर्षरत रहना है. तभी देश की एकता की रक्षा हो सकती है. कार्यक्रम का समापन अरदास से हुआ.

पंगत में बैठ छका लंगर

इसके बाद लं विभिन्न समुदाय से आये सैकड़ों लोगों ने भाईचारा बनाने के लिए एक साथ पंगत में बैठ कर लंगर छका. आयोजन में गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के संरक्षक खेमचंद बचयानी, सचिव सरदार बलवीर सिंह, उपाध्यक्ष सरदार हरविंदर सिंह भंडारी, कोषाध्यक्ष सरदार मनजीत सिंह, सरदार चरणजीत सिंह, सरदार अजीत सिंह आदि का योगदान रहा.

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