कोसी हर बार मचाती है तबाही, नहीं आता कोई तारणहार

कोसी नदी हर साल कहर बरपाती है. भागलपुर के नवगछिया अनुमंडल से गुजरती कोसी नदी ने कई गांव के सैकड़ों घरों और सैकड़ों एकड़ जमीन को अपने आगोश में समा लिया

By Prabhat Khabar Print | July 8, 2024 1:26 AM

नवगछिया. बिहार की शोक नदी कही जाने वाली कोसी नदी हर साल कहर बरपाती है. भागलपुर के नवगछिया अनुमंडल से गुजरती कोसी नदी ने कई गांव के सैकड़ों घरों और सैकड़ों एकड़ जमीन को अपने आगोश में समा लिया है. इस वर्ष भी कोसी अपना किनारा काटने को आमादा है. नवगछिया अनुमंडल के खरीक प्रखंड अंतर्गत सिंहकुंड गांव के अस्तित्व को मिटाने के लिए कोसी नदी ने विकराल रूप धर लिया है. कोसी की धारा इस कदर भयावह हो गयी है कि जमीन के जमीन, घर के घर कट कर कोसी की धारा में विलीन हो रहे हैं. हर साल यही हालात रहते हैं. हर घंटे 20-से 30 फिट जमीन कट कर कोसी में विलीन हो जा रही है. ग्रामीण भयभीत हो रतजगा कर रहे हैं. उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. ग्रामीणों में जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के प्रति आक्रोश है. कारण्न प्रतिनिधियों का ध्यान इस ओर नहीं है. कटावरोधी कार्य हो तो रहे हैं, लेकिन किस तरह हो रहे हैं यह विधायक और सांसद को जानने की जरूरत है. कटाव के नाम पर बांस काट कर कोसी में गिराया जा रहा है. बालू भरी बोरियां डाली जा रही है, वह भी कोसी की तेज धारा में बह जा रही है. अब तक न प्रशासन और न कोई जनप्रतिनिधि यहां सुध लेने पहुंचे हैं. कटाव पीड़ित दिनेश राय ने कहा कि बहुत मेहनत से घर बनाते हैं, बहुत खर्चा होता है, लेकिन सरकार कुछ नही देती. चार बार मेरा घर कट गया है. दिलीप राय ने कहा कि घर कटने के बाद बगीचे में पॉलीथिन डाल कर रह रहे हैं. व्यवस्था कुछ भी नही है. तीन वर्ष पहले घर बनाये थे. इस वर्ष मिला कर मेरा घर पांचवीं बार कटा है. सुबोध राय ने कहा कि यहां पर कोई काम नहीं होने वाला है. सिर्फ बोरा जमा कर देता है ठेकदार.बोरा कोसी नदी में चला जाता है. कोई देखने नहीं आता है कि घर कट रहा है. कोट::: 20 दिन से काम कर रहे हैं. इससे पहले एंटीरोजन का काम नही हो पाया. जब पानी बढ़ा, तो यहां कटाव हुआ तब जाकर ग्रामीण और विधायक ने विभाग को सूचित किया. पदाधिकारी हमलोगों को यहां देखने के लिए भेजे. हमलोगों ने रिपोर्ट भेजी, तब जाकर काम शुरू हुआ. सबसे यहां स्लोप कटिंग हुआ. दो से तीन दिनों में ही वह पानी में बह गया. बंबू रोल दिये वह भी बह गया. यहां करीब छह से अधिक घर गिर गये हैं. विजय कुमार सिंह, जूनियर इंजीनियर, जल संसाधन विभाग

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