Loading election data...

Bihar News: मार्केटिंग के अभाव में औने-पौने भाव में सब्जी बेचने को मजबूर किसान, महानगर तक भेजने की आस

भागलपुर के किसानों को मार्केट का अभाव है जिसके कारण परवल, नेनुआ व अन्य सब्जी पर किसी की नजर नहीं पड़ रही.बिचौलिये के चक्कर में पड़कर औने-पौने भाव में मेहनत से उपजायी गयी सब्जी को बेचनी पड़ रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 13, 2022 5:40 PM

विकास राव: भागलपुर के परवल, नेनुआ व अन्य सब्जी पर किसी की नजर नहीं पड़ रही. सब्जी किसानों को मार्केट का अभाव है. इससे उन्हें बिचौलिये के चक्कर में पड़कर औने-पौने भाव में मेहनत से उपजायी गयी सब्जी को बेचनी पड़ रही है. कृषि विभाग व जिला प्रशासन जर्दालू, कतरनी व लीची की तरह सब्जियों पर ध्यान दें, तो यहां के सब्जी किसानों की गाड़ी निकल पड़ेगी. यह दर्द भागलपुर के उन सब्जी किसानों का है, जो कम से कम मुनाफा के बाद भी जिले के लोगों को सस्ती सब्जी की आपूर्ति कर रहे हैं.

आम के कारण सब्जियों की मांग घटी

बाजार में आम आने के कारण हरी सब्जियों की मांग पहले से घट गयी है. अब लगन भी कम हो गया. इससे भी खपत नहीं हो पा रहा है. किसानों का 30 से 40 प्रतिशत उत्पादित सब्जियां बर्बाद हो रही है. सब्जी दुकानदार मुन्ना प्रसाद ने बताया कि नेनुआ अब भी बाजार में सात से 10 रुपये किलो तक बिक रहे हैं. बीच में 10 रुपये में दो से तीन किलो तक नेनुआ बिक रहे थे. अभी हरा परवल 12 से 15 रुपये किलो, जबकि सादा परवल 15 से 20 रुपये किलो, भिंडी 10 से 15, करेली 10 से 15, बोड़ा 10 से 15 रुपये किलो, हरी मिर्च 30 से 50 रुपये किलो तक बिक रहे हैं. यही सब्जियां थोक में औने-पौने दाम में किसानों को बेचना पड़ रहा है. किसानों को सब्जी का उत्पादन करना जुआ खेलने सा लग रहा है.

जिले में सात हजार से अधिक है सब्जी किसान

जिले के विभिन्न प्रखंडों के 15495 हेक्टेयर भूमि में सात हजार किसान सब्जी की खेती करते हैं. इसमें 2.41 लाख मीट्रिक टन सब्जी का उत्पादन होता है. 15495 हेक्टेयर में साढ़े नौ हजार हेक्टेयर में परवल की खेती हो रही है. बांकी में बैगन, कद्दू, भिंडी, टमाटर, खीरा, बोड़ा, करेली, फूल गोभी, पत्ता गोभी, पालक व अन्य साग आदि की खेती होती है.भागलपुर के दियारा क्षेत्र, जीछो-सरधो, लोदीपुर, सरमसपुर, नसरतखानी, लालूचक, मोहनपुर दियारा आदि में सालों भर सब्जी की खेती होती है. दियारा क्षेत्र में सबसे अधिक परवल की खेती होती है.

Also Read: प्रभात खबर खास: भागलपुर में एएनएम को मिले सरकारी टैब में बच्चे खेल रहे गेम, 550 में 450 हैं निष्क्रिय
मिर्च का 5630 मीट्रिक टन है उत्पादन

जिले में मिर्च व शिमला मिर्च की खेती 1148 हेक्टेयर भूमि होती है. इसमें 5630 मीट्रिक टन मिर्च व शिमला मिर्च का उत्पादन होता है. मिर्च की खेती के लिए कहलगांव एवं शिमला मिर्च की खेती सबौर क्षेत्र में होती है.

किसानों का दर्द

सब्जी किसान सरयू मंडल ने बताया कि यहां के सब्जी किसानों की सबसे बड़ी समस्या मार्केटिंग की है. कहीं स्थायी बाजार किसानों के लिए नहीं है. किसानों को बिचौलियों के फेर में जाना पड़ता है, नहीं तो कहीं बैठकर बेचने की स्थायी जगह नहीं है. भागलपुर नगर निगम क्षेत्र में नसरतखानी से अधिक से अधिक सब्जी की आपूर्ति होती है. मार्केटिंग के अभाव बिचौलिये फायदा ले लेते हैं. कभी-कभी किसानों को लागत मूल्य भी मिलना मुश्किल हो जाता है. सिंचाई की सुविधा कहीं उपलब्ध नहीं है.

मार्केटिंग होने पर किसानों को तिगुना तक मुनाफा

दूसरे किसान रामस्वरूप सिंह ने बताया कि मार्केटिंग होने पर किसानों को तिगुना तक मुनाफा मिलेगा और भागलपुर की सब्जी दूसरे प्रदेश तक पहुंचेगा. खासकर परवल, करेली, नेनुआ, फूल गोभी, बैगन, भिंडी, कद्दू, खीरा, टमाटर आदि सब्जी प्रचूर मात्रा में होती है.

मार्केटिंग के लिए हो रहा है प्रयास

सब्जी उत्पादकों के लिए मार्केटिंग का प्रयास हो रहा है. सबसे पहले कीटनाशी व रासायनिक के दुष्प्रभाव को रोकने के लिए सब्जी उत्पादकों के बीच प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. जैविक खेती को बढ़ावा देने के बाद मार्केटिंग की ओर विभाग आगे बढ़ेगा. साथ ही सब्जियों को प्रसंस्कृत करने के लिए विभाग के लिए विशेष योजना लायी गयी है.

विकास कुमार, सहायक निदेशक, उद्यान विभाग

Prabhat Khabar App: देश-दुनिया, बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस अपडेट, क्रिकेट की ताजा खबरे पढे यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए प्रभात खबर ऐप.

FOLLOW US ON SOCIAL MEDIA
Facebook
Twitter
Instagram
YOUTUBE

Next Article

Exit mobile version