यूरिनल व कूड़ेदान की कमी रेटिंग में सुधार के राह का रोड़ा

नगर निगम प्रशासन की ओर से स्वच्छता सर्वेक्षण की रेटिंग में सुधार की तैयारी शुरू है, मगर चनौतियां कई हैं. सबसे बड़ी चुनौती शहर के चौक-चौराहे पर यूरिनल व कूड़ेदान का नहीं होना है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 5, 2024 10:27 PM

नगर निगम प्रशासन की ओर से स्वच्छता सर्वेक्षण की रेटिंग में सुधार की तैयारी शुरू है, मगर चनौतियां कई हैं. सबसे बड़ी चुनौती शहर के चौक-चौराहे पर यूरिनल व कूड़ेदान का नहीं होना है. ऐसे में चारों तरफ गंदगी व सड़ांध से शहरवासी परेशान हैं. 2023 में भागलपुर शहर की रैंकिंग 403 आयी थी, जबकि 2021 में 366वीं और 2022 में 365वीं रैंकिंग आयी थी.

एक माह बाद होगा स्वच्छता सर्वेक्षण

स्वास्थ्य शाखा प्रभारी विकास हरि ने बताया कि एक माह बाद स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम आयेगी. निगम कार्यालय परिसर समेत मोहल्ले, चौक-चौराहे की सफाई व्यवस्था को बेहतर करने की कोशिश शुरू हो गयी है. इसके अलावा फॉगिंग, ब्लिचिंग व चूना का छिड़काव किया जा रहा है. इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण का थीम थ्री आर है, जिसमें रिड्यूज, रियूज और रिसाइकल को ध्यान में रखा जा रहा है. कुल 9500 अंक में सबसे ज्यादा अंक सर्विस लेवल प्रोग्राम के लिए 5705 अर्थात 60 प्रतिशत है. सर्टिफिकेशन के लिए 2500 करीब 26 प्रतिशत और जन आंदोलन के लिए 1295 अर्थात 14 प्रतिशत अंक निर्धारित किया गया है.

सफाईकर्मियों की कमी करनी होगी दूर

कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था होने के बाद सफाई व्यवस्था में आंशिक सुधार हुआ है. सफाई व्यवस्था को दुरुस्त कराने के लिए सफाईकर्मी की कमी को दूर करनी होगी. मशीन के साथ-साथ भौतिक तरीके से झाड़ू देने की जरूरत है. सर्विस लेवल प्रोग्राम के तहत कूड़े के अलग-अलग करने, इकट्ठा करने और उसे गंतव्य तक ले जाने के लिए 13 प्रतिशत, कूड़े के ढेर के निस्तारण के लिए चार प्रतिशत, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए 40 प्रतिशत, बेहतर सफाई दिखने के लिए 17 प्रतिशत सैनिटेशन, इस्तेमाल हुए पानी का फिर से इस्तेमाल करने और सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए किए गए कार्य के लिए 22 प्रतिशत अंक निर्धारित किया गया है.

ये हैं बड़ी चुनौतियां

गीले व सूखे कूड़े को अलग करने की स्थिति बेहतर नहीं

शहर में गीले व सूखे कूड़े के निस्तारण के लिए व्यवस्था बनायी गयी है, लेकिन अब तक बेहतर स्थिति में नहीं पहुंची है. चाहे भूतनाथ मंदिर के समीप हो या मुसहरी घाट समीप. अधिकतर कूड़ा अब भी सड़क के किनारे व कनकैथी पहुंचाया जा रहा है.

चौक-चौराहे पर यूरिनल की व्यवस्था नहीं, तैयार यूरिनल उपयोगहीन

शहर के विभिन्न चौक-चौराहे पर यूरिनल की व्यवस्था नहीं की गयी है. जहां यूरिनल है, वह उपयोगहीन है. आकाशवाणी समीप तीन साल से उपयोगहीन है, जहां बाहर ही लोग मूत्र विसर्जन करते हैं. शहर के विभिन्न चौक-चाैराहे लाजपत पार्क के सामने, नगर निगम कार्यालय परिसर, तिलकामांझी सरकारी बस स्टैंड परिसर, सैंडिस कंपाउंड के अंदर व बाहर बने ई-टॉयलेट लाखों की लागत से बनाये गये, जाे उपयोगहीन है. इससे पहले स्मार्ट टॉयलेट बनाया गया, जो रखरखाव के अभाव में टूट गये. पूर्व में बने टॉयलेट भी अव्यवस्थित है. इनारा चौक पर पानी की सुविधा नहीं है, तो वेराइटी चौक पर लंबी लाइन लगी रहती है.

कूड़ेदान नहीं होने से जहां-तहां बिखरा रहता है कूड़ा

कूड़ेदान का अभाव होने के कारण शहर में जहां-तहां कूड़ा फेंकने के लिए लोग विवश हैं.खासकर बाजार क्षेत्र में कूड़ा उड़कर दुकान में चला जाता है. सब्जी मंडी हो, लोहापट्टी, फूल मंडी, महादेव सिनेमा, खरमनचक में जगह-जगह कूड़े बिखरे रहते हैं. यहां विभिन्न जिलों के लोग खरीदारी करने के लिए हजारों की संख्या में ग्राहक आते हैं. सर्वेक्षण टीम से यहां छिपाना मुश्किल होगा. घर-घर कूड़ा उठाव का काम भी पहले से बिगड़ गया है. सफाई मित्र की सुरक्षा इस मानक का भी कहीं पालन होता नहीं दिखता है. सफाईकर्मी बिना किसी सुरक्षा किट के नाले में उतर कर सफाई करते हैं.

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