बिहार: जमीन हड़पने वालों ने कोसी नदी का हिस्सा भी कर लिया अपने नाम, सीएम ने दिए जांच के निर्देश तो हुआ चौंकाने वाला खुलासा

सार्वजनिक ताल-तलैया और सड़कें बिकने या दूसरे के नाम हो जाने की खबरें खूब मिलती रही हैं, लेकिन कोई नदी ही बिक जाये, यह बात अटपटी-सी लगती है. ऐसा ही एक मामला भागलपुर में सामने आया है, जहां बिहार की शोक कही जानेवाली कोसी नदी को ही लोगों ने अपने नाम कर ली. जमीन विवाद से भरे सूबे में तिकड़मबाजों द्वारा कोसी नदी को अपने नाम कर लेने की संभवत: यह पहली घटना है. वैसे प्रदेश सरकार इसी गड़बड़ी को कम करने के लिए कई तरह के कदम उठा रही है. वर्षों बाद सूबे में फिर से जमीन का सर्वे शुरू हुआ है. जमीन रजिस्ट्री के साथ ही 35 दिनों के अंदर अपने आप म्यूटेशन होना भी शुरू हो गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 4, 2021 7:16 AM

संजीव, भागलपुर: सार्वजनिक ताल-तलैया और सड़कें बिकने या दूसरे के नाम हो जाने की खबरें खूब मिलती रही हैं, लेकिन कोई नदी ही बिक जाये, यह बात अटपटी-सी लगती है. ऐसा ही एक मामला भागलपुर में सामने आया है, जहां बिहार की शोक कही जानेवाली कोसी नदी को ही लोगों ने अपने नाम कर ली. जमीन विवाद से भरे सूबे में तिकड़मबाजों द्वारा कोसी नदी को अपने नाम कर लेने की संभवत: यह पहली घटना है. वैसे प्रदेश सरकार इसी गड़बड़ी को कम करने के लिए कई तरह के कदम उठा रही है. वर्षों बाद सूबे में फिर से जमीन का सर्वे शुरू हुआ है. जमीन रजिस्ट्री के साथ ही 35 दिनों के अंदर अपने आप म्यूटेशन होना भी शुरू हो गया है.

गुवारीडीह टीला के समीप कोसी को अपने नाम किया

भागलपुर जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर है ऐतिहासिक गुवारीडीह टीला. यह बिहपुर अंचल के अंतर्गत आता है. इस टीले के बगल से कोसी नदी बहती है. यह नदी अब भी जिंदा है, यानी सालों भर पानी भरा रहता है. टीले के पास ही कोसी नदी के एक एकड़ 20 डिसमिल हिस्से की जमाबंदी कुछ स्थानीय लोगों ने अपने नाम करा ली है. जानकार बताते हैं कि यह नदी कई सौ साल से इधर से ही गुजर रही है और पुराने खतियान में भी सरकारी जमीन के रूप में ही अंकित है. जब कोसी पूरे उफान पर होती है, तो इस नदी का ओर-छोर दिखता नहीं है.

ऐसे हुआ मामले का खुलासा

दरअसल 20 दिसंबर 2020 को गुवारीडीह टीले का भ्रमण करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आये थे. उन्होंने टीले की हर स्तर से पूरी रिपोर्ट तैयार कर इसे ऐतिहासिक महत्व का स्थल बनाने का निर्देश जिला प्रशासन को दिया था. जब टीले की जमीन की रिपोर्ट तैयार की जाने लगी, तो पता चला कि टीला की जमाबंदी किसी व्यक्ति के नाम से दर्ज है. इसके बाद अपर समाहर्ता के कोर्ट में यह मामला प्रशासन ने दर्ज किया, ताकि जमाबंदी रद्द की जा सके. इसकी सुनवाई के दौरान जब जमीन की पड़ताल शुरू हुई, तो पता चला कि कोसी नदी का ही एक एकड़ 20 डिसमिल हिस्सा (जिस पर नदी बह रही है) की जमाबंदी भी किसी ने अपने नाम कर ली है. इसे देख कर अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक हैरत में पड़ गये.

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कहते हैं अधिकारी

गुआरीडीह टीले की जमाबंदी रद्द करने के मामले में चल रही सुनवाई के दौरान यह पता चला कि टीले के बगल से बहनेवाली कोसी की एक एकड़ 20 डिसमिल जमीन की जमाबंदी कुछ लोगों ने करा ली है. इसकी जांच करते हुए जमाबंदी रद्द करने का प्रस्ताव बिहपुर के अंचल अधिकारी से मांगा गया है. इसके बाद जमाबंदी रद्द करने की कार्रवाई शुरू कर दी जायेगी.

राजेश झा राजा, अपर समाहर्ता, भागलपुर

Posted By: Thakur Shaktilochan

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