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लाखों का पैकेज छोड़ युवाओं ने नगर में शुरू की स्ट्रॉबेरी व पपीता की खेती

एक ओर ग्रामीण क्षेत्र में पारंपरिक खेती से आमदनी नहीं होने के कारण युवा महानगरों की ओर पलायन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर से सिल्क सिटी भागलपुर के शहरी क्षेत्र में युवाओं ने स्ट्राॅबेरी, पपीता, फूल की खेती शुरू की है. इतना ही नहीं इसमें प्रेरित कर रहे युवा किसान बाबुल विवेक ने लाखों का पैकेज वाली नौकरी तक छोड़ दी है.

-जिले में स्ट्रॉबेरी-पपीता की खेती से हरेक साल बढ़ रही किसान की कमाई, बताया लाखों में खेलने का राज-शहरी क्षेत्र शैलबाग, कुरबन व भैरोपुर में पांच एकड़ से अधिक भूभाग में दिलीप मंडल, बाबुल विवेक, दयानंद, देवानंद आदि युवा किसान कर रहे खेती

दीपक राव, भागलपुर

एक ओर ग्रामीण क्षेत्र में पारंपरिक खेती से आमदनी नहीं होने के कारण युवा महानगरों की ओर पलायन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर से सिल्क सिटी भागलपुर के शहरी क्षेत्र में युवाओं ने स्ट्राॅबेरी, पपीता, फूल की खेती शुरू की है. इतना ही नहीं इसमें प्रेरित कर रहे युवा किसान बाबुल विवेक ने लाखों का पैकेज वाली नौकरी तक छोड़ दी है.

इशाकचक निवासी बाबुल विवेक ने उच्च शिक्षा लेकर लाखों के पैकेज वाली नौकरी की. नौकरी में मन नहीं रमने के कारण शैलबाग व भैरोपुर में पारंपरिक खेती की बजाय युवाओं को लाभकारी खेती का प्रशिक्षण देना शुरू किया. इसका नतीजा अब देखने को मिल रहा है. यहां के स्थानीय किसान व युवा भी खेती से जुड़ने लगे. यहां पांच एकड़ भूमि में स्ट्रॉबेरी, पपीता, तरह-तरह के फूल, फूलगोभी, विंस, लोबिया आदि की खेती शुरू कर दी है.बाबुल विवेक से प्रेरित होकर दिलीप मंडल, दयानंद, देवानंद आदि युवा किसानों ने स्ट्रॉबेरी और पपीते की खेती शुरू की और लाखों की कमाई शुरू कर दी. यहां के किसान स्ट्रॉबेरी की खेती पहली बार कर रहे हैं. दिलीप मंडल ने बताया कि हिमाचल प्रदेश से स्ट्रॉबेरी का पौधा मंगाया, जबकि पपीता का पौधा पपाया मैन गुंजेश गुंजन से लिया. किसानों ने बताया कि अब तक उन्होंने किसी तरह का सरकारी लाभ नहीं लिया है. समय-समय पर तकनीकी खेती का प्रशिक्षण लिया. इसमें ड्रिप मल्चिंग तकनीक को अपनाया. इस टेक्निक के जरिए उन्होंने बहुत कम लागत में ज्यादा कमाई की. न्होंने खेती शुरू की तो पहले साल में ज्यादा लागत आयी और एक लाख रुपये खर्च हुए. इस रकम में उन्होंने अपने खेत को ठीक किया और मल्चिंग की.

पपाया मैन गुंजेश गुंजन ने बताया कि एक एकड़ में 1000 पाौधे लगा सकते हैं. एक पौधे पर औसत खर्च 120 रुपये आता है. एक एकड़ में 1.20 लाख रुपये खर्च आता है. औसत एक पौधा में 50 किलो फल लगते हैं. 50 हजार किलो एक एकड़ में फल लगेंगे और बाजार में न्यूनतम कीमत एक किलो पपीता पर 30 रुपये मिल जाते हैं. एक एकड़ में 15 लाख रुपये तक खर्च के साथ कमा सकते हैं. एक हेक्टेयर भूमि में किसान 2500 पपीता के पौधे लगा सकते हैं. पपीता की खेती में 60000 रुपये खर्च आता है, जिसमें 50 हजार रुपये पौधा की खरीद पर लगता है. एक पौधा का लागत 20 रुपये आता है.ऐसे बढ़ती गयी आमदनी

एक एकड़ के खेत में उन्होंने 24,000 पौधे लगाए थे, जिसमें एक पौधे की कीमत 10 से 20 तक तक आयी. करीब दो लाख 40 हजार की लागत से उन्होंने पौधे खरीदे. एक एकड़ में पहले साल दो से ढाई लाख रुपये तक की आमदनी हुई. इसके बाद दूसरे साल उन्हें सात से आठ लाख रुपये तक की आमदनी होने लगी. स्ट्रॉबेरी की फसल 4 से 5 महीने तक होती है. इसके अतिरिक्त पपीता की फसल से उन्हें तीन से साढ़े तीन लाख रुपये प्रति एकड़ तक की आमदनी हो जाती है.—————-

उद्यान विभाग ने पपीता, स्ट्रॉबेरी व फूल की खेती के लिए भागलपुर को माना है उपयुक्तउद्यान विभाग ने पपीते की खेती के लिए भागलपुर को उपयुक्त माना है. पपीता की खेती के लिए किसानों को बढ़ावा दिया जा रहा है. उद्यान विभाग के सहायक निदेशक अभय कुमार मंडल ने बताया कि भागलपुर जिले के किसानों को पपीता, स्ट्रॉबेरी व फूल की खेती के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है. इसमें जागरूक किसान लाभ ले रहे हैं.

पपीता खेती की चुनौतीपपीता में वायरल डिजिज लिफ कर्ल फैलता है. इसमें पत्ती सिकुड़ जाती है और फल खराब हो जाते हैं. इसके लिए विशेषज्ञों से सलाह लेते रहें. जमीन को ऊंचा रखना चाहिए, ताकि पपीते की जड़ में पानी नहीं फंसे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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