मुजफ्फरपुर की शाही लीची की तरह भागलपुर की मनराजी लीची को जीआई टैग की मांग किसानों उठाने लगे हैं. इतना ही नहीं आत्मा, भागलपुर के सामने अपना प्रस्ताव भी रखा है, ताकि इस प्रस्ताव को बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के माध्यम से आगे बढ़ाया जा सके. लीची उत्पादक किसानों की मानें तो मुजफ्फरपुर की शाही लीची को जीआई टैग मिलने के बाद विश्व में मशहूर हुआ, जबकि भागलपुर की मनराजी लीची किसी तरह कमतर नहीं है. दुबई समेत अन्य खाड़ी देशों में लोगों को खूब पसंद आ रहा है. लीची के बड़े किसान सह निर्यातक सरस बसुधा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के टीम लीडर चंदन कुमार सिंह ने बताया कि पांच दिन पहले दुबई लीची का निर्यात किया, तो उम्मीद बढ़ गयी. घरेलू बाजार में भी इस लीची की डिमांड बढ़ गयी, लगातार बेंगलुरु लीची भेजी जा रही थी. अन्य किसानों से भी लीची की ग्रेडिंग करके भेज रहे थे. भीषण गर्मी व पछिया हवा से लीची की ग्रेड खराब होने लगा. बेंगलुरु भेजी गयी लीची खराब हो गयी. वहां औने-पौने दाम पर बेचना पड़ा. वहीं दूसरे लीची उत्पादक तुलसीपुर जमुनिया के बंटी सिंह ने कहा कि यदि भागलपुर की मनराजी लीची को जीआई टैग मिलेगा और सरकारी सुविधा मिलेगी, तो किसान आत्मनिर्भर हो जायेंगे. पकरा के बड़े लीची किसान सौरभ सिंह ने कहा कि मनराजी लीची का उत्पादन भागलपुर जिले के बिहपुर, खरीक, गोपालपुर, नवगछिया, रंगरा, नारायणपुर, सबौर आदि में पांच हजार हेक्टेयर में होता है. सरकार की ओर से बढ़ावा मिल रहा है, लेकिन सुविधा की कमी है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने धरहरा में पौधरोपण को दिया था बढ़ावा
गोपालपुर प्रखंड अंतर्गत लत्तीपाकर धरहरा के चंदन कुमार सिंह ने बताया कि 2012 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनकी भतीजी के नाम पर पौधरोपण किया था, जो लीची का पेड़ बन गया. इसी पेड़ की लीची देश के विभिन्न हिस्सों में भेजी जा रही है. धरहरा हरा-भरा क्षेत्र हो गया, लेकिन किसानों की आय को दुगुनी करने के लिए सरकारी सुविधा का अभाव हे. कम से कम दो पैक हाउस की सुविधा मिले.कहते हैं पदाधिकारी
आत्मा के उप परियोजना निदेशक प्रभात कुमार सिंह ने कहा कि किसानों की मांग को आगे बढ़ायेंगे. पैक हाउस को लेकर भी जिलाधिकारी का सहयोग मिल रहा है. शीघ्र ही योजना धरातल पर उतरेगी. पैक हाउस से किसानों की उत्पादित चीजों की गुणवत्ता बनी रहेगी.
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जिला कृषि पदाधिकारी अनिल यादव ने कहा कि मनराजी लीची भागलपुर की पहचान है. किसानों के हित को ध्यान में रखा जा रहा है. जीआई टैग के लिए रकबा और उत्पादन बढ़ाना होगा. हालांकि उनकी सुविधा का ख्याल करेंगे.———-
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