भागलपुर के नाथनगर स्थित श्री चंपापुर दिगंबर जैन (Jain) सिद्धक्षेत्र में भगवान वासुपूज्य शांति विधान एवं विश्व शांति महायज्ञ में गुरुवार को बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल समेत देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालुओं ने शिरकत किया. मौके पर आचार्य शीतल सागर महाराज ने कहा कि भगवान वासुपूज्य ने अध्यात्म मार्ग में अंतरंग शुद्धि की आवश्यकता बतायी है. अच्छे लोगों के साथ रहने पर बल दिया है.
उन्होंने कहा- पाप बड़ों-बड़ों को अर्श से फर्श पर ला देता है. अहंकार व्यर्थ है और संबंध नष्ट करेगा. धर्म समझ का मार्ग है, समझौते का नहीं. पवित्रता और धर्म का सुमेल है. मायाचार जब शिष्टाचार बन जाये तो समझना भविष्य में दुःख पक्का मिलेगा.
108 कलश से महामस्तकाभिषेक
गुरुवार को पंच बालयति मंदिर में भगवान वासुपूज्य की मूंगे रंग की खड्गासन प्रतिमा का श्रद्धालुओं द्वारा 108 कलश से महामस्तकाभिषेक किया. दिल्ली के आनंद साह ने स्वर्ण कलश से एवं अहमदाबाद के रमणिकभाई जैन ने रजत कलश से मस्तकाभिषेक किया. श्रद्धालुओं के जयघोष से सिद्ध क्षेत्र गुंजायमान हो उठा.
पश्चिम बंगाल धुलियान के प्रदीप गंगवाल ने विश्व शांति धारा किया. विभिन्न प्रांतों के श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया और मस्तक पर मुकुट लगाया. श्रद्धापूर्वक वासुपूज्य विधान पर श्रीफल अर्पण करते हुए मंत्र पाठ किया.
जिसके हृदय में प्रतिशोध, वह अशांत
आचार्य शीतल सागर महाराज ने आगे कहा कि पाप करने का नहीं, जीवन से हरने की चीज है. धन को सुख मानने वाले, सुख को कभी खोज ही नहीं पाते हैं. जिसके हृदय में प्रतिशोध या विरोध की भावना है, वह व्यक्ति धन-सत्ता आदि से चाहे जितना समर्थ हो, लेकिन शांति प्राप्त नहीं कर सकता. हिंसा को प्रति हिंसा से दूर नहीं किया जा सकता.
अतिथियों का स्वागत सिद्धक्षेत्र मंत्री सुनील जैन ने किया और कहा कि आपका आचरण ही आपका परिचय है. मौके पर राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और दिल्ली के रोहित गंगवाल, प्रतीक अजमेरा, देवेंद्र गंगवाल, दिलीप काला, सुभाष रारा, सज्जन विनायका, अर्पित अजमेरा, अंकित गंगवाल, दिलीप बड़जात्या आदि उपस्थित थे.