भागलपुर में केमिकल फ्री साबुन का निर्माण शुरू, कई लोगों को मिल रहा रोजगार

भागलपुर के उद्यमी अजय कुमार आलोक ने केमिकल फ्री साबुन का निर्माण शुरू किया है. तिलकामांझी शहीद भगत सिंह लेन के रहने वाले अजय कुमार आलोक पहले खाद्य प्रसंस्करण उद्योग खोलकर स्टेट व नेशनल अवार्ड पा चुके हैं.

By Anand Shekhar | May 16, 2024 5:40 AM

दीपक राव, भागलपुर

पूरी दुनिया में सिल्क उद्योग में अपना डंका बजा चुके भागलपुर में अब नया-नया इनोवेशन हो रहा है. इसी क्रम में यहां केमिकल फ्री साबुन का निर्माण शुरू किया गया. यह उद्यम तिलकामांझी स्थित शहीद भगत सिंह लेन निवासी स्टेट अवार्डी अजय कुमार आलोक ने शुरू किया है. इतना ही नहीं लोगों में इसकी डिमांड भी होने लगी है. हालांकि महानगरों व दूसरे प्रदेशों में आपूर्ति के लिए बाजार को तलाशा जा रहा है.

सिल्क सिटी भागलपुर में टेक्सटाइल की बजाय खाद्य प्रसंस्करण व अन्य घरेलू उपयोग में आने वाली चीजों का उद्यम शुरू हो रहा है. दिन व दिन नया इनोवेशन हो रहा है. केमिकल व उर्वरक युक्त खाद्य पदार्थों से लोग बीमारी से घिर रहे हैं. ऐसे में लोगों में हर्बल व जैविक चीजों के प्रति रुझान बढ़ा है.

लोगों की सोच को ध्यान में रखकर उद्यमी अजय कुमार आलोक ने अब कैमिकल फ्री साबुन का निर्माण शुरू किया है. तीन साल पहले उद्यमी अनूप शर्मा ने मेंगो व लीची जूस का उद्यम शुरू किया था. एक बार फिर प्रदेश व खासकर पूर्वी बिहार का व्यापारिक केंद्र के रूप में भागलपुर उभरने लगा है. अजय कुमार आलोक ने बताया कि अभी किसी योजना से लाभ नहीं लिया गया है, लेकिन उद्यम को विस्तारित करने के लिए आगे सरकार की योजना का लाभ लेना पड़ेगा. अभी शुरुआत में खुद की पूंजी लगायी गयी है.

पटना में स्टेट अवार्ड व नई दिल्ली के दिल्ली हाट में मिला नेशनल अवार्ड

उद्यमी अजय कुमार आलोक ने बियाडा, बरारी में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग खोला. जहां मसाला, आटा, सत्तू व बेसन का निर्माण किया. उनकी गुणवत्ता व लोगों को रोजगार देने के आधार पर स्टेट अवार्ड 2021 में तत्कालीन उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने प्रदान किया, जबकि नेशनल अवार्ड नई दिल्ली के दिल्ली हाट में मिला.

कैमिकल फ्री साबुन में होता है इस्तेमाल, पांच लोगों को मिल रहा है रोजगार

उद्यमी अजय कुमार आलोक ने बताया कि साबुन तैयार करने के लिए सबसे पहले शॉप बेस, हर्बल फ्रेरेगनेस, हर्बल कलर, सैंडल-चंदन, नीम, तुलसी, हल्दी आदि का इस्तेमाल होता है. उन्होंने बताया कि शुरुआत में 25 किलो कच्चे माल का प्रतिदिन लगभग 400 साबुन तैयार किया जा रहा है. अभी पांच लोगों को रोजगार दिया गया है.ज्यों-ज्यों डिमांड बढ़ेगी और साबुन की मात्रा बढ़ेगी, त्यों-त्यों कर्मचारियों को भी बढ़ाया जायेगा. उन्होंने बताया कि साबुन के साथ टॉयलेट क्लिनर का भी निर्माण किया जा रहा है. यह बाजार के हर्बल साबुन व टॉयलेट क्लिनर से सस्ता होगा.

केमिकल फ्री साबुन के फायदे

केमिकल वाले साबुन का इस्तेमाल करने से स्किन में एलर्जी और रैशेज की समस्या हो सकती हैं. इस तरह के साबुन का इस्तेमाल करने से स्किन ड्राई और रूखी नजर आती है, जबकि कैमिकल फ्री साबुन चेहरे के लिए बहुत फायदेमंंद होता है. मुंहासे और पिंपल्स हटाने का काम करता है. नीम के पत्ते, हल्दी और गुलाब जल का फेस पैक बनाया जाता है.

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