चरित्र सत्यापन कार्य नहीं हो 15 दिनों से अधिक विलंब
जिलाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी ने भूमि विवाद व चरित्र सत्यापन को लेकर हुई बैठक में कहा कि यह बहुत ही संजीदा मामला है. चरित्र सत्यापन में महीनों लग जा रहा है. इस कार्य में 15 दिनों से अधिक विलंब नहीं होना चाहिए. राजस्व शाखा के प्रभारी पदाधिकारी राजकुमार ने बताया कि भूमि विवाद से संबंधित नया कानून बनने के बाद अब तक तीन वर्षों में कुल 2800 मामले प्राप्त हुए हैं. इसमें मात्र 48 मामले लंबित हैं.
जिलाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी ने भूमि विवाद व चरित्र सत्यापन को लेकर हुई बैठक में कहा कि यह बहुत ही संजीदा मामला है. चरित्र सत्यापन में महीनों लग जा रहा है. इस कार्य में 15 दिनों से अधिक विलंब नहीं होना चाहिए. राजस्व शाखा के प्रभारी पदाधिकारी राजकुमार ने बताया कि भूमि विवाद से संबंधित नया कानून बनने के बाद अब तक तीन वर्षों में कुल 2800 मामले प्राप्त हुए हैं. इसमें मात्र 48 मामले लंबित हैं. डीएम ने कहा कि सभी सीओ भूमि विवाद से संबंधित मामलों की पंजी को अपडेट कर लें. उच्चस्तरीय बैठक में यह बात सामने आयी है कि अपराध से संबंधित 62 प्रतिशत मामले भूमि विवाद से जुड़े रहते हैं. संगठित अपराध में कातिब को भी शामिल किया जाये. गुरुवार से शनिवार तक पंचायत में शिविर लगाकर भूमि विवाद के मामले को प्राप्त किया जाये.
वरीय पुलिस अधीक्षक ने कहा कि भारत न्याय संहिता की धारा 111 में भूमि विवाद के मामले को संगठित अपराध के रूप में माना गया है और उसमें अंकित है कि 10 साल के अंदर यदि किसी भू माफिया के विरुद्ध चार्ज शीट दायर हुआ है या माननीय न्यायालय द्वारा संज्ञान लिया गया है और वह व्यक्ति पुनः भूमि विवाद से जुड़ा हुआ है तो उसके विरुद्ध गंभीर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस धारा का प्रयोग भू माफियाओं के विरुद्ध निष्पक्ष रूप से की जाए । इससे समाज में शांति स्थापित होगी।
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मापी तब तक वैध, जब तक कोर्ट से खारिज नहींडीएम ने कहा कि सीओ द्वारा करायी गयी मापी एक अभिलेख है. यदि कोई पक्ष इसे नहीं मानता है, तो वह डीसीएलआर कोर्ट में जा सकता है. लेकिन वह सीमांकन तब तक वैध माना जायेगा, जब तक कि डीसीएलआर कोर्ट द्वारा उसे खारिज नहीं किया जाता है.
भवन के पुराने रास्ता को कोई बंद नहीं कर सकता है, यदि उसके पास वैकल्पिक रास्ता उपलब्ध नहीं है. यदि कोई व्यक्ति नक्शा से अधिक जमीन क्रय करता है तो नियम के अनुसार प्रथम क्रेता को उसकी जमीन मिलेगी और बची हुई जमीन के हिस्से में ही द्वितीय क्रेता को जमीन मिलेगी. एक ही जमीन को बार बार बचने वाले व्यक्ति के विरुद्ध रजिस्ट्री ऑफिस को बड़ी रकम जुर्माना करने का अधिकार है.
सत्य से परे आवेदन बार-बार देने पर गुंडा पंजी में नाम होगा दर्जडीएम ने कहा कि समाज में व्यवधान उत्पन्न करनेवाले कुछ लोग आरटीआइ कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में लगातार सत्य से परे आवेदन विभिन्न कार्यालय में देते हैं. उनके आवेदन पर संबंधित कार्यालय द्वारा काफी समय व्यतीत हो जाता है. ऐसा वह तंग करने की भावना से करते हैं. ऐसे लोगों का नाम थाना के गुंडा पंजी में दर्ज कराया जाये और लगातार थाना में उनका परेड कराया जाये.
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