जिलाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी की अध्यक्षता में उनके कार्यालय कक्ष में शनिवार को जिले के अति कुपोषित व कुपोषित बच्चों को कुपोषण से बाहर निकलने को लेकर बैठक हुई. इसमें आइसीडीएस (समेकित बाल विकास सेवाएं) व स्वास्थ्य कार्यालय से संबंधित पदाधिकारी शामिल हुए. डीएम ने कहा कि 10000 बच्चों को कुपोषण से बाहर निकलना है, तो केवल एनआरसी (पोषण पुनर्वास केंद्र) से काम नहीं चलेगा. इसके लिए विभाग को पत्र लिखा जाये कि अनुमंडल स्तर पर भी पोषण पुनर्वास केंद्र का निर्माण कराया जाये और उनमें बेडों की संख्या अधिक रखी जाये. तत्काल शहरी क्षेत्र में 50 बेड का अस्थायी पोषण पुनर्वास केंद्र की व्यवस्था करने का निर्देश स्वास्थ्य कार्यालय को दिया. उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में बच्चों को कुपोषण से बाहर निकालने के लिए उनके घर पर ही संतुलित आहार व जरूरी दवा देकर कुपोषण से बाहर निकाला जाये. इसके लिए तीन श्रेणी में कुपोषित बच्चों को रखा जाये, अति कुपोषित, कुपोषित व अस्वस्थ. इसके लिए पहले जिला स्तर पर फिर प्रखंड स्तर पर संबंधित पदाधिकारियों व कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा. इनमें स्वास्थ्य विभाग, जीविका, समेकित बाल विकास सेवाएं (आइसीडीएस) को शामिल किया जायेगा. इसके लिए पोस्टर, पंपलेट व आवश्यक प्रचार सामग्री की तैयारी कर ली जाये. साथ ही शिशु चिकित्सक को संवेदनशील बनाया जाये. बताया गया कि अति कुपोषित बच्चों को, जिन्हें रेफर किया जाता है उन्हें सदर अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र में रख कर उनके शरीर में जो कमी होती है, उसके आधार पर प्रोफाइल तैयार की जाती है. इसके अनुसार आहार व दवा देकर उन्हें 45 दिनों में कुपोषण से बाहर निकाल कर पूर्णत: स्वस्थ कर उन्हें घर भेजा जाता है. उनके अभिभावक को भी संतुलित आहार देने के लिए काउंसलिंग की जाती है.
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