संस्कृति की रक्षा के लिए मातृ-पितृ पूजन जरूरी, ऐसे कार्यक्रम को व्यापक बनाने की जरूरत: आगमानंदजी
भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए मातृ-पितृ पूजन जरूरी है. ऐसे कार्यक्रम को व्यापक बनाने की जरूरत है. पश्चात संस्कृति के कारण
भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए मातृ-पितृ पूजन जरूरी है. ऐसे कार्यक्रम को व्यापक बनाने की जरूरत है. पश्चात संस्कृति के कारण आज के दिन को लोग दूसरे रूप में याद करते हैं, जिससे अपनी संस्कृति नष्ट होती है. कई संतों ने इस दिन को मातृ पितृ पूजन दिवस के रूप में स्थापित किया है, जिसने आज वृहद रूप में ले लिया है. उक्त बातें स्वामी आगमानंद महाराज ने शुक्रवार को कही. मौका था जागृत युवा समिति के तत्वावधान में लाजपत पार्क में मातृ पितृ पूजन दिवस पर समारोह का.
500 बच्चों ने की माता-पिता की पूजा
यह कार्यक्रम भागलपुर में 10वीं बार किया गया. कार्यक्रम में पांच सौ बच्चों ने अपने माता-पिता की पूजा की. कार्यक्रम जगदगुरु रामानुजाचार्य श्री रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज के सानिध्य में संपन्न हुआ. कार्यक्रम का संयोजन रोहित पांडेय ने व संचालन दिलीप शास्त्री ने किया. कार्यक्रम में मातृ-पितृ भक्त श्रवण कुमार, भगवान शिव-पार्वती, गणेश सहित कई देवी-देवताओं की झांकी सजायी गयी. कार्यक्रम स्थल पर 30 फीट ऊंचा त्रिशूल आकर्षण का केंद्र रहा.मंत्री और विधायक ने किया उद्घाटन
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मातृ पितृ पूजन दिवस पर हवन यज्ञ संपन्नसत्य सनातन वैदिक समाज,नाथनगर द्वारा स्थानीय सामुदायिक भवन चैती दुर्गा स्थान मोहनपुर,नरगा में मातृ-पितृ पूजन दिवस पर संस्कार और संस्कृति विषयक गोष्ठी हुई. पंडित राम प्रसाद वैदिक की अध्यक्षता में संपन्न समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर अध्यक्ष जगतराम साह कर्णपुरी ने किया. मौके पर जवाहरलाल मंडल, आशुतोष कुमार आशीष, प्रणव कुमार, महेंद्र आर्य, देवनंदन बाबा, संतोष आर्य, राजेश कुमार, कुबेर मंडल, सुबंधु आर्य, दिलीप सिंह आदि उपस्थित थे.
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