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छठी मैया को मुस्लिम धर्मावलंबियों भी चढ़ाते हैं सूप

एक ओर जहां धार्मिक विद्वेष फैलाने के लिए कुछेक लोग अलग-अलग प्रपंच करने में लगे हैं, वहीं दूसरी ओर विविध समुदाय के लोग एक-दूसरे के पर्व-त्योहार में शामिल हो रहे हैं. मुस्लिम धर्मावलंबियों की ओर से भी महापर्व छठ में सूप चढ़ाया जा रहा है. यहां न कोई भेदभाव दिख रहा है और न ही कोई अलगाव. बस सभी में ऊपरवाले की संतान की तरह एकरूपता दिखाने व मानवता को आगे बढ़ाने की चाहत है.

प्रभात खासयहां विविध समुदाय के लोगों की आस्था है और स्वास्थ्य व मन की शांति के लिए करते हैं उपवास से लेकर साधना

दीपक राव, भागलपुर

एक ओर जहां धार्मिक विद्वेष फैलाने के लिए कुछेक लोग अलग-अलग प्रपंच करने में लगे हैं, वहीं दूसरी ओर विविध समुदाय के लोग एक-दूसरे के पर्व-त्योहार में शामिल हो रहे हैं. मुस्लिम धर्मावलंबियों की ओर से भी महापर्व छठ में सूप चढ़ाया जा रहा है. यहां न कोई भेदभाव दिख रहा है और न ही कोई अलगाव. बस सभी में ऊपरवाले की संतान की तरह एकरूपता दिखाने व मानवता को आगे बढ़ाने की चाहत है.

लोदीपुर में इकलौता मुस्लिम परिवार करता है छठ

लोदीपुर की अस्मीना व मो साबिर का इकलौता मुस्लिम परिवार है, जो पांच साल से छठ पर भगवान सूर्य को अर्घ देते हैं और छठी मैया की पूजा करते हैं. अस्मीना उत्साहित होकर कहती हैं कि पांच साल में उनके परिवार में काफी बदलाव आया है. पर्व के बाद स्वास्थ्य लाभ मिलता है तो, मानसिक शांति भी मिलती है. तीन बेटी और एक बेटा है, जो कि स्वस्थ हैं. मेहनत करके अपनी आजीविका चलाते हैं. मो साबिर ने बताया कि छोटी सी दुकान चलाकर पूरा परिवार चलाते हैं. शुरुआत में इतनी बड़ी संख्या में लोगों को छठ करते देखा और फिर खुद भी प्रयोग के रूप में छठ पूजन सामग्री बेचना शुरू किया. अचानक पर्व में शामिल होने लगे. अब तो दीपावली से छठ तक पूरी तरह से सात्विक जीवन जीते हैं. लहसून-प्याज तक भोजन में नहीं लेते.

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साहेबगंज पठान टोला की रुख्साना खातून 11 साल से करती हैं छठ

साहेबगंज पठान टोला निवासी रुख्साना खातून पिछले 11 साल से छठ कर रही हैं. दूसरे श्रद्धालु को सूप देकर छठ करती हैं. छठ के दौरान महापर्व में होने वाले सभी विधि-विधान में शामिल होती हैं. पति वार्ड 10 के पूर्व पार्षद मो इफ्तिखार हुसैन उर्फ पोपल की मानें तो इससे पहले उनकी मां छठ व्रत करती थी. मो इफ्तिखार हुसैन ने बताया कि उनके लिए किसी धर्म व उनके पर्व-त्योहार के लिए कोई भेदभाव नहीं है. हमलोगों के यहां ईद में हिंदू समुदाय सेवइयां का मजा लेते हैं, तो वेलोग दिवाली में खीर और होली में पुआ-पकवान का. अब तो दूसरे के पर्व-त्योहार में शरीक होने लगे हैं. बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. काली पूजा में भी पूजा से लेकर विसर्जन तक शरीक हुए.

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