Bhagalpur News: जब नालंदा सेंट्रल यूनिवर्सिटी बन सकता है तो विक्रमशिला क्यों नहीं
हवाई जहाज संघर्ष समिति की ओर से विक्रमशिला सेंट्रल यूनिवर्सिटी की स्थापना को लेकर एक दिवसीय सत्याग्रह
–
हवाई जहाज संघर्ष समिति की ओर से विक्रमशिला सेंट्रल यूनिवर्सिटी की स्थापना को लेकर एक दिवसीय सत्याग्रह
हवाई जहाज संघर्ष समिति की ओर से कहलगांव में विक्रमशिला सेंट्रल यूनिवर्सिटी की स्थापना को लेकर शुक्रवार को घंटाघर परिसर में एक दिवसीय सत्याग्रह का आयोजन हुआ. कमल जायसवाल की अध्यक्षता में बुद्धिजीवियों ने सत्याग्रह में शिरकत की और एक स्वर में कहा कि जब नालंदा सेंट्रल यूनिवर्सिटी बन सकता है, तो विक्रमशिला सेंट्रल यूनिवर्सिटी क्यों नहीं. पिछले दिनों जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नालंदा सेंट्रल यूनिवर्सिटी में आगमन हुआ, तो भागलपुर और कहलगांव की जनता की उम्मीद जाग उठी. दरअसल 10 साल पहले प्रधानमंत्री ने जब विक्रमशिला सेंट्रल यूनिवर्सिटी के लिए 500 करोड़ की राशि देने की बात कही थी, तभी से जमीन अधिग्रहण की प्रकिया जारी है, लेकिन ज्यादा वक्त लगने से निराशा होने लगी थी. अब नालंदा सेंट्रल यूनिवर्सिटी में प्रधानमंत्री में विक्रमशिला के बारे में बिहार के मंत्रियों से जाना तो उनकी तरफ से मजबूत भरोसा मिला. एक बार फिर उम्मीद की किरण जगी और कहलगांव और भागलपुर के प्रबुद्धजन आगे आये.सत्याग्रह में डॉ रमन सिन्हा, डॉ बिहारी लाल, शिवशंकर सिंह पारिजात, प्रकाश चंद गुप्ता, निरंजन साह, प्रदीप सिंह, रमन कर्ण, दीपक कोचगवे, गौतम सरकार, दीपक उपाध्याय और अनुज शिवलोचन ने सकारात्मक बातें रखी. इस मौके पर बीजेपी के जिलाध्यक्ष संतोष कुमार, जेडीयू के जिलाध्यक्ष विपिन कुमार सिंह, डॉ डी पी सिंह, डॉ अजय कुमार सिंह, डिप्टी मेयर डॉ सलाहउद्दीन अहसन, बर्दी खान, मिंटू कलाकार, विनय सिन्हा, सोनू घोष, अशोक गुप्ता, इंजीनियर मिथिलेश, शंभू भगत, दीपक घोष, रश्मि रंजन शामिल हुए. कहलगांव से भागलपुर पहुंचे सत्याग्रहियों में मुखिया ललिता देवी, पवन चौधरी, गौतम चौधरी, पवन भारती आदि भी शामिल हुए. पूर्व कुलपतियों में डॉ फारुक अली, डॉ क्षमेंद्र सिंह, डॉ नंद कुमार इंदु के अलावा इतिहासकार और पत्रकार भी शामिल रहे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है