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जदयू विधायक गोपाल मंडल के खिलाफ कोर्ट पहुंचे कार्यकर्ता, भागलपुर में पार्टी के अंदर नहीं थम रहा सिर फुटव्वल

भागलपुर जदयू में सिर फुटव्वल जारी है. पार्टी के कार्यकर्ता ने अपने ही विधायक गोपाल मंडल के खिलाफ कोर्ट पहुंचे और नालसीवाद दायर किया. जानिए पूरा मामला...

भागलपुर में जदयू के अंदर सिर फुटव्वल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. जदयू के विधायक गोपाल मंडल और सांसद अजय मंडल के बीच बयान के तीर लगातार चल रहे हैं. एनडीए की एक बैठक में भागलपुर के सांसद अजय मंडल पर विधायक गोपाल मंडल ने आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी थी. जिसके बाद अब जदयू के ही कार्यकर्ता ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है और अपनी ही पार्टी के विधायक के विरूद्ध नालिसीवाद दायर किया है. बता दें कि पिछले दिनों विधायक गोपाल मंडल पर भी सांसद ने पलटवार किया था. जिसके बाद गोपाल मंडल ने सांसद अजय मंडल के ऊपर आरोपों की बौछार भी लगा दी थी. सांसद के ऊपर काला धंधा करने का आरोप तक लगा दिया था.

जदयू विधायक गोपाल मंडल के खिलाफ नालसीवाद दायर

भागलपुर जिला के नाथनगर के नूरपुर निवासी जदयू कार्यकर्ता प्रशांत कुमार ने गोपालपुर विधायक गोपाल मंडल के विरुद्ध बुधवार को भागलपुर सीजेएम कोर्ट में नालिसीवाद दायर कराया है. अधिवक्ता ब्रजेश कुमार वर्मा के माध्यम से दायर नालिसीवाद में आरोप लगाया गया है कि विगत 25 अगस्त 2024 को जदयू यूथ कमेटी सदस्यों की बैठक में विधायक गोपाल मंडल भी उपस्थित थे. विधायक गोपाल मंडल की ओर से अपने संबोधन में भागलपुर के वर्तमान सांसद अजय मंडल सहित जदयू के अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पूर्व सांसद बुलो मंडल को लेकर कई टिप्पणी की गयी थी.

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किस मामले में दर्ज हुआ है नालसीवाद?

दायर नालिसीवाद में आरोप लगाया गया है कि सांसद अजय मंडल को काला नाग और बुलो मंडल को गोरा नाग कहने को लेकर प्रकाशित समाचार पत्रों व समाचार के विभिन्न माध्यमों से वर्तमान सांसद अजय मंडल और पूर्व सांसद बुलो मंडल की प्रतिष्ठा धूमिल हुई है. प्रशांत कुमार ने दावा किया है कि जिस वक्त विधायक गोपाल मंडल की ओर से इस तरह के शब्दों का उपयोग बैठक के दौरान किया जा रहा था उस वक्त वह और अन्य गवाह भी बैठक में मौजूद थे. विधायक गोपाल मंडल के संबोधन के समाचार पत्रों में प्रकाशित होने पर उन्हें मानसिक आघात हुआ और गण्यमान्यों की प्रतिष्ठा का हनन हुआ है.

नालसीवाद में जिक्र किया- थाना ने केस नहीं लिया

दायर नालिसीवाद में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि संज्ञेय अपराध नहीं होने की वजह से थाना ने केस नहीं लिया. इसके बाद उन्होंने अधिवक्ताओं से संपर्क किया. न्यायालय में विलंब से आने की वजह से उन्हें नालिसीवाद दायर करने में देरी हुई.

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