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उत्पादन के साधन, प्रक्रिया पर कब्जे से ज्यादा महत्वपूर्ण नीतियों पर विचार करने की जरूरत

गंगा मुक्ति आंदोलन का दो दिवसीय संवाद कार्यक्रम का शुभारंभ शनिवार को वेराइटी चौक समीप स्थित एक होटल में हुआ. इसमें बिहार, बंगाल, झारखंड, दिल्ली से वरिष्ठ समाजकर्मियों, बुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया और गंगा, कोसी, सोन, गंडक आदि नदी क्षेत्रों की समस्याओं और उन संदर्भों पर उपज रहे जनांदोलनों पर व्यापक चर्चा हुई.

गंगा मुक्ति आंदोलन का दो दिवसीय संवाद कार्यक्रम का शुभारंभ शनिवार को वेराइटी चौक समीप स्थित एक होटल में हुआ. इसमें बिहार, बंगाल, झारखंड, दिल्ली से वरिष्ठ समाजकर्मियों, बुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया और गंगा, कोसी, सोन, गंडक आदि नदी क्षेत्रों की समस्याओं और उन संदर्भों पर उपज रहे जनांदोलनों पर व्यापक चर्चा हुई. अनिल प्रकाश ने कहा कि आज उत्पादन के साधन, प्रक्रिया पर कब्जे से ज्यादा महत्वपूर्ण नीतियों पर विचार करने की जरूरत है.

इससे पहले उदय ने संवाद कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया. प्रो योगेंद्र ने कहा युवाओं के लिए फ्रस्टेशन की ओर हमारी व्यवस्था लगातार बढ़ रही है, जिसका परिणाम आत्महत्या, हिंसा, बलात्कार, आर्थिक भ्रष्टाचार जैसी प्रवृतियां हैं. दिनेश ने बक्सर में प्रस्तावित एनटीपीसी और प्रो पवन कुमार सिंह ने कहलगांव एनटीपीसी के क्षेत्र में हो रहे किसान व पर्यावरण आंदोलन पर विस्तार से चर्चा की. कोसी क्षेत्र में बाढ़ कटाव विस्थापन तटबंध पीड़ितों की स्थिति और हो रही राजनीति, भ्रष्टाचार पर महेंद्र यादव, उमेश सहनी, संतोष मुखिया आदि ने विस्तार से चर्चा की. इस परिचर्चा में देवज्योति मुखर्जी, मो जाहिद, सार्थक भारत, मनाज मीता, हरिकृष्ण, राहुल, रामकिशोर, ललन, बागेश्वर बागी, गौतम कुमार, अर्जुन शर्मा, वासुदेव महतो आदि ने भी संबोधित किया.

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