वीरपुर से बिहपुर एनएच-106 को बनाने के लिए करीब 25.731 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग किया जा सकेगा. इसकी अंतिम सशर्त स्वीकृति केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने दे दिया है. सड़क परियोजना के 106 से 136 किमी के बीच यह वन भूमि पड़ती है. इस जमीन को मिलने से सड़क की चौड़ाई बनाने सहित निर्माण प्रक्रिया में तेजी आयेगी. वहीं, इस परियोजना में फुलौत पुल को बनाने के लिए कई तरह की स्वीकृति लेेने के लिए मंत्रालय ने एक कमेटी का गठन कर दिया है. पुल बनाने के लिए उसके माध्यम से स्वीकृति मिलने का इंतजार है. हालांकि, पुल का शिलान्यास पिछले दिनों पीएम नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया था.
सूत्रों का कहना है कि मधेपुरा और भागलपुर जिले के बीच बेहतर यातायात सुविधा उपलब्ध करवाने वाली इस परियोजना के रास्ते में पड़ने वाली वन भूमि की आवश्यकता थी. इसके लिए पथ निर्माण विभाग के आवेदन पर छह अप्रैल 2020 को केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पहले स्टेज की सशर्त सैद्धांतिक स्वीकृति दी थी. इसके बाद 21 दिसंबर 2020 को अंतिम स्वीकृति मांगी गयी थी जिस पर केंद्रीय मंत्रालय ने नौ फरवरी 2021 को सशर्त अंतिम स्वीकृति दे दी.
मधेपुरा और भागलपुर जिले को जोड़ने वाली वीरपुर से बिहपुर सड़क एनएच-106 का निर्माण और चौड़ीकरण होना है. इसका काम पहले का निर्माण 2016 में वीरपुर से शुरू हो गया था. सड़क निर्माण की योजना में दोहरीकरण कार्य शामिल है. सड़क निर्माण के लिए 36 माह का समय तय किया गया था. यह एनएच इपीसी मोड पर बन रहा था. इसमें कांट्रैक्टर को खुद से डिजाइनिंग, कंस्ट्रक्शन व रोड निर्माण करना था. वर्ल्ड बैंक की सहयोग से बिहपुर से वीरपुर तक लगभग सात अरब 80 करोड़ 77 लाख रुपये की लागत से 130 किलोमीटर में से 105.2 किलोमीटर सड़क का निर्माण होना है.
पटना हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एपी साही ने दिसंबर, 2018 में मधेपुरा से उदाकिशुनगंज के बीच सफर करने के बाद एनएच 106 के निर्माण कार्य से नाराजगी जतायी थी. उन्होंने कहा था कि 35 किलोमीटर की दूरी तय करने में उन्हें दो घंटे का वक्त लग गया. यह काफी दयनीय स्थिति है जो लोगों को परेशान करती है.
Posted By: Thakur Shaktilochan