रंगरा सीएचसी में नवजात की मौत, आक्रोशित ग्रामीणों ने किया हंगामा
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी की लापरवाही से नवजात की मौत हो गयी. आक्रोशित ग्रामीणों ने रंगरा सीएचसी में जम कर हंगामा किया.
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी की लापरवाही से नवजात की मौत हो गयी. आक्रोशित ग्रामीणों ने रंगरा सीएचसी में जम कर हंगामा किया. स्वास्थ्य कर्मी से हाथापाई की. जानकारी 112 नंबर पर पुलिस को दी गयी. पुलिस मौके पर पहुंच कर आक्रोशित परिजनों को समझा बुझाकर शांत कराया. शिशु मधेपुरा जिला आलमनगर थाना बजराहा के मो सउद की पत्नी छोटी खातून का पुत्र था. मो सउद ने बताया कि मेरी पत्नी छोटी खातून का मायका रंगरा गांव में है. वह अपने मायके में थी. छोटी खातून को प्रसव पीड़ा होने पर उसे रंगरा सीएचसी में सुबह साढ़े छह बजे भर्ती करवाया गया. एएनएम की मदद से दो बज कर 44 मिनट में नॉर्मल डिलवरी से पुत्र हुआ. डिलिवरी एएनएम निभा कुमारी, अन्नु कुमारी ने कराया. नवजात शिशु को सांस लेने में परेशानी हो रही थी. नर्स ने नवजात शिशु को आक्सीजन लगवाया. उसी समय बिजली कट गयी थी. परिजन सीएचसी के जनरेटर स्टार्ट करवाने के लिए कर्मी को खोजने लगे. वह पेड़ के नीचे सोया था. उसे उठा कर जनरेटर स्टार्ट करवाने के लिए ले गये. जनरेटर का तेल समाप्त हो गया था. जनरेटर में तेल डाल पंप किया गया, तो जनरेटर र्स्टाट हुआ. इस दौरान समय पर आक्सीजन नहीं मिलने से नवजात शिशु की मौत हो गयी. परिजन ने बताया कि छोटी खातून को जब से अस्पताल में भर्ती करवाया कोई चिकित्सक उसे देखने नहीं पहुंचा था. सारा काम नर्स ही कर रही थी. ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक डॉ मनोरंजन कुमार सिंह ने बताया कि सुबह से मैं ही ड्यूटी पर हूं. सुबह आठ बजे ओपीडी चलता है. 10 बजे अस्पताल पहुंचा. ओपीडी में अधिक भीड़ से इमरजेंसी नहीं देख पाया. न ही प्रसव पीड़ित महिला को देखा. 2:50 बजे नर्स ने बताया कि नवजात शिशु को सांस लेने में परेशानी हो रही हैं. नवजात शिशु को देखा, तो उसकी मौत हो गयी थी. सउद ने बताया कि पांच वर्ष पूर्व छोटी खातून से मेरी शादी हुई थी. किंतु अभी तक बच्चा नहीं हुआ था. चिकित्सक के यहां काफी खर्च करने व दरगाह पर मन्नत मांगने के बाद पत्नी गर्भवती हुई थी. छोटी खातून को उसके मायके में ही रखा था कारण उसके घर के पास ही रंगरा सीएचसी है. कोई परेशानी होने पर डाॅक्टर को दिखाया जा सके. छोटी खातून जबसे गर्भवती हुई थी उसका मेडिकल जांच नियमित हो रही थी. कभी भी परेशानी की कोई बात नहीं थी. चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी की लापरवाही से मेरे बच्चे की जान गयी है. प्रसव में कोई परेशानी थी, तो रेफर कर देना चाहिए था. चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी पर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराऊंगा. आक्रोशित ग्रामीणों ने बताया कि पीएचसी प्रभारी अस्पताल में रहते ही नहीं हैं. सीएचसी में हाजरी बनवाने के पश्चात कटिहार जिला कुरसेला स्थित अपने क्लिनिक चले जाते हैं. ड्यूटी आवर में भी वह अपने क्लिनिक में बैठते हैं. सीएचसी में केवल हाजरी बनाने आते हैं. पिछले 13 वर्ष से वह रंगरा सीएचसी के प्रभारी पद पर हैं. एक बार भी इनका तबादला नहीं हुआ हैं. नवजात शिशु की मौत पर परिजन हंगामा कर रहे थे. सीएचसी प्रभारी रंजन कुमार अपने केबिन में भोजन कर रहे थे. सीएचसी प्रभारी ने बताया कि सीएचसी में कोई महिला चिकित्सक नहीं हैं. शिशु रोग विशेषज्ञ भी नहीं हैं. प्रसव पीड़ित महिला जब सीएचसी में भर्ती होती हैं, तो कोई चिकित्सक नहीं देखते हैं. सारा काम नर्स ही करती हैं. छोटी खातून को भी कोई चिकित्सक डिलवरी से पहले नहीं देख पाया था.
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