Bhagalpur News: टीएमबीयू प्रशासनिक कार्य में शिथिलता बरतने व समय से कार्यालय नहीं आने वालों पर कार्रवाई करने के मूड में है. विवि में सोमवार को परीक्षा विभाग के चार कर्मचारियों के लेट आने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है. विवि के रजिस्ट्रार डॉ रामाशीष पूर्वे ने कहा कि विवि प्रशासनिक भवन स्थित सभी शाखा से हाजिरी रजिस्टर मांगी गयी थी. इसमें परीक्षा विभाग के चार कर्मचारी नियत समय से अपनी-अपनी शाखा में नहीं पहुंचे थे. उन्होंने कहा कि दोपहर 12.30 बजे तक वे कर्मचारी अपने-अपने कार्यालय में नहीं पहुंचे. ऐसे में हाजिरी रजिस्टर पर उन चार कर्मचारियों की हाजिरी काट दी गयी. एक दिन का वेतन काटा जायेगा. इसके साथ ही अनुशासनात्मक कार्रवाई की जायेगी. पूरे मामले को लेकर कुलपति को सूचना दे दी गयी है. मंगलवार को विवि व कॉलेजों में अवकाश है. बुधवार को विवि खुलने पर मामले में एक्शन लिया जायेगा.
तेजी से निपटायें सभी फाइल, देरी नहीं की जायेगी बर्दाश्त
रजिस्ट्रार ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि विवि के कार्यों में किसी स्तर से लापरवाही या फाइल निष्पादन में ज्यादा समय लगाया जाता है, तो ऐसे में विवि नियमानुसार संबंधित लोगों पर कार्रवाई की जायेगी. उन्होंने कहा कि राजभवन व कुलपति से उन्हें निर्देश दिया गया है कि किसी फाइल या व्यक्ति के कारण विवि के विकास संबंधित कार्य बाधित होता है. उसकी जबावदेही उन्हें ही देना होगा. उनकी जवाबदेही तय किये जाने के बाद अपने स्तर से लगातार प्रयास कर रहे हैं कि विवि में कोई फाइल नहीं रुके. विद्यार्थिय शिक्षकों, कर्मचारियों व पेंशनधारियों से जुड़े कार्यों को तेजी से निष्पादित किया जायेगा. इसमें बाधा उत्पन्न करने वाले को नहीं बख्शा जायेगा.
कोर्ट में कुलपति की अर्हता व नियुक्ति प्रक्रिया मामले में सुनवाई नहीं
टीएमबीयू के कुलपति प्रो. जवाहरलाल की अर्हता व नियुक्ति की प्रक्रिया को विवि के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ गिरिजेश नंदन कुमार ने हाइकोर्ट में चुनौती दी थी. सोमवार को हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई नहीं हो सकी. दरअसल, याचिका सोमवार को सूची में नहीं आ सकी. अब कोर्ट इसकी सुनवाई के लिए नयी तिथि फिर से तय करेगा. पूर्व रजिस्ट्रार डॉ गिरिजेश नंदन कुमार ने हाईकोर्ट में कुलपति की अर्हता व नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर कोर्ट में दिये याचिका में दावा किया है कि वीसी को प्रोफेसर पद पर 10 साल के अनुभव की अनिवार्य अर्हता नहीं रखते हैं. उनके अनुभव की अर्हता दस साल से कम है. उन्होंने दिये आवेदन में कहा कि वीसी नियुक्ति की प्रक्रिया में यूजीसी के प्रतिनिधि शामिल नहीं हुए थे, जबकि कुलपति की नियुक्ति में यूजीसी का प्रतिनिधि शामिल होना अनिवार्य किया गया है.