भागलपुर विस्फोट का बीत गये नौ दिन, पीड़ित परिवारों को नहीं मिली मदद, नेताओं के आश्वासन से हैं परेशान
परिजनों का कहना है कि विस्फोट में उनके व मृत परिजनों की संलिप्तता नहीं है. बावजूद इसके पड़ोसी होने का दंश झेल रहे हैं. दूसरे के घर में शरण लेने के विवश हैं. घर गिरने व जर्जर होने के बाद भी सरकारी मदद नहीं मिल पा रही है.
भागलपुर. काजीवलीचक में विस्फोट की घटना को नौ दिन बीत गये और पीड़ित परिवारों के लिए स्थायी व्यवस्था नहीं की गयी. इतना ही नहीं इन नौ दिनों में प्रशासनिक पदाधिकारियों व प्रदेश से लेकर केंद्रीय स्तर के नेताओं ने पीड़ित परिजनों को आश्वासन दिया. बावजूद इसके उन्हें कोई स्थायी मदद नहीं मिल सकी. रविवार को दशकर्म है, जिसकी तैयारी दूसरे घर में रह करने की है. परिजनों का कहना है कि विस्फोट में उनके व मृत परिजनों की संलिप्तता नहीं है. बावजूद इसके पड़ोसी होने का दंश झेल रहे हैं. दूसरे के घर में शरण लेने के विवश हैं. घर गिरने व जर्जर होने के बाद भी सरकारी मदद नहीं मिल पा रही है.
नौ दिनों में प्रशासनिक पदाधिकारी, प्रदेश स्तर व केंद्रीय स्तर के नेता पहुंचते रहे और बड़ा-बड़ा आश्वासन देते हैं. धरातल पर उनकी मदद नहीं पहुंचती दिख रही है. स्थानीय नेताओं की मदद ही काम आ रही है. भोजन से लेकर अन्य मूलभूत सुविधा भी उनकी ओर से मिल रही है. पड़ोसी की मदद से उनके घर में शरण मिला है. विस्फोट में हताहत हुए राजकुमार साह की भतीजी जया ने अपना दर्द बयां किया. पहले एक मंत्री जी आये और आश्वासन दिया कि दो से तीन दिन में फिर आकर उनके लिए की गयी व्यवस्था की समीक्षा करेंगे. आना तो दूर, मदद भी नहीं मिली.
राजकुमार साह के भाई निर्मल कुमार साह ने कहा कि एसएसपी व डीडीसी से बात हुई तो कहा कि वे लोग शुक्रवार शाम को आकर घर को खुलवायेंगे और दुकान को खोलने का आदेश देंगे.साथ ही इंजीनियर से जांच करा कर देखेंगे कि घर का कितना हिस्सा सुरक्षित है.निर्णय लिया जायेगा कि उन्हें रहने की इजाजत दी जाये या नहीं. दूसरे के घर में शरण लेने की जरूरत नहीं होगी. यह आश्वासन मिले 24 घंटे बीत गये. कोई नहीं पहुंचे. बड़े नेताओं के आश्वासन का भी कोई असर नहीं दिख रहा है. पीड़ितों को एसएसपी के आश्वासन पर जरूर भरोसा था, लेकिन अब भरोसा टूटते दिख रहा है.
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केवल मिलने आते हैं नेता आश्वासन से हैं परेशान
वहीं दूसरे भाई मनोज साह ने रोष प्रकट करते हुए कहा कि नौ दिन बीत जाने के बाद भी कोई स्थायी मदद नहीं मिली. नेता केवल मिलने आते हैं. आश्वासन देते हैं. आश्वासन सुन कर परेशान हो गये हैं. भोजन की भी सरकारी व्यवस्था नहीं की गयी है. डिप्टी मेयर राजेश वर्मा की ओर से की गयी भोजन व्यवस्था पर ही निर्भर हैं.