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राम को वन भेजने का सामर्थ्य कैकई के अलावा किसी और में नहीं था: अतुलेशानंद महाराज

भगवान श्रीराम को वन भेजने का सामर्थ्य किसी और में नहीं था. भगवान श्रीराम के जीवन से सीख लेने की आवश्यकता है

भगवान श्रीराम को वन भेजने का सामर्थ्य किसी और में नहीं था. भगवान श्रीराम के जीवन से सीख लेने की आवश्यकता है. उक्त बातें कन्नौज के पीठाधीश्वर अतुलेशानंद जी महाराज ने मानस सत्संग सद्भावना समिति की ओर बूढ़ानाथ मंदिर परिसर में चल रहे नौ दिवसीय श्रीराम कथा के आठवें दिन सोमवार को प्रवचन के दौरान कही.

जगतगुरु अतुलेशानंद जी महाराज ने कहा कि वह नारी नारी नहीं जो विपत्ति में पति के काम ना आ सके. जैसे देवासुर संग्राम में कैकई अपने पति के साथ थी. उन्होंने कहा कि नारी की शक्ति महान होती है. भागलपुर की नारी केवल रोटी बनाने वाली मत बनो, बल्कि राष्ट्र रक्षा में दुर्गा और काली बनकर राष्ट्र की रक्षा करो. उन्होंने कहा कि समिति की ओर से 33 वां आयोजन किया जा रहा है.

वाराणसी से पधारी नीलम शास्त्री ने कहा कि जो समाज को जोड़ता है वह हमेशा उपर रहता है जो समाज काटता बांटता है, वह नीचे होता है. डॉ आशा ओझा ने कहा कि भगवान के नाम में इतनी शक्ति है कि वे स्वयं भक्त के पास आ जाते हैं, उन्हें ढूंढना नहीं पड़ता है. राम जी से जिनकी राशि जुड़ जाए उसका जीवन राम ही राम हो जाये. मध्यप्रदेश के पंडित रामेश्वर उपाध्याय, रघुनंदन ठाकुर ने भी प्रवचन किया. मंच संचालन प्रमोद मिश्रा ने किया, तो अतिथियों का स्वागत अध्यक्ष मृत्युंजय प्रसाद सिंह ने किया. इस मौके पर संयोजक हरिकिशोर सिंह कर्ण, सचिव सुनील चटर्जी, कोषाध्यक्ष अमरेन्द्र कुमार सिन्हा, उपाध्यक्ष महेश राय, प्रणव दास, रत्नाकर झा, विनिता मिश्रा, मनोरमा देवी, कलाकार सौरभ मिश्रा, महारूद्र मिश्रा, बालमुकुंद, घनश्याम आदि उपस्थित थे.

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