नॉर्थ इस्ट जैसा हुआ पूर्व बिहार व कोसी रीजन का मौसम, गर्मी बढ़ते ही बारिश

बीते एक माह से भागलपुर समेत पूरे पूर्व बिहार व कोसी रीजन में हो रही बारिश के कारण यहां का मौसम भारत के नॉर्थ इस्ट इलाके जैसा बना रहा. इधर, दो दिन की हल्की गर्मी के बाद गुरुवार को फिर से पूर्वा हवा बहने लगी. हवा की आद्रता 60 प्रतिशत से ऊपर चली गयी. बता दें कि चिलचिलाती धूप, उमस व भीषण गर्मी के कारण जहां 2019 में धारा 144 लगाने की नौबत आ गयी थी. वहीं, बारिश के कारण धरती में नमी रहने व जलस्त्रोंतों में पानी का स्तर सामान्य रहने से लोगों को इस बार गर्मी से काफी राहत मिली है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 15, 2020 1:45 AM

भागलपुर : बीते एक माह से भागलपुर समेत पूरे पूर्व बिहार व कोसी रीजन में हो रही बारिश के कारण यहां का मौसम भारत के नॉर्थ इस्ट इलाके जैसा बना रहा. इधर, दो दिन की हल्की गर्मी के बाद गुरुवार को फिर से पूर्वा हवा बहने लगी. हवा की आद्रता 60 प्रतिशत से ऊपर चली गयी. बता दें कि चिलचिलाती धूप, उमस व भीषण गर्मी के कारण जहां 2019 में धारा 144 लगाने की नौबत आ गयी थी. वहीं, बारिश के कारण धरती में नमी रहने व जलस्त्रोंतों में पानी का स्तर सामान्य रहने से लोगों को इस बार गर्मी से काफी राहत मिली है.

2020 में दिन का सर्वाधिक तापमान अबतक 40 डिग्री के आंकड़े को नहीं छू पाया है. असम के गुवाहाटी में चाय के कारोबार के सिलसिले में अक्सर आवाजाही करने वाले भागलपुर निवासी जयशंकर चौधरी ने बताया कि जैसे ही गर्मी बढ़ने लगती है. जिले में आंधी तूफान व बारिश होने लगती है. इससे तापमान में तत्काल गिरावट आ जाती है. वहीं, अधिकतम व न्यूनतम तापमान का अंतर भी काफी कम रहता है. वहीं, टीएमबीयू के पीजी भूगोल विभाग के पूर्व एचओडी डॉ एसएन पांडेय ने बताया कि बढ़ते प्रदूषण के कारण बीते बीस वर्षों में देश के जलवायु में काफी बदलाव आया है.

आज से छह माह पहले दिल्ली व दूसरे बड़े शहर में धुएं का कोहरा छाया रहता था. प्रदूषण की हालत काफी चिंताजनक हो गयी थी. किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि हवा, पानी व जमीन का प्रदूषण कैसे कम होगा. लेकिन लॉकडाउन के कारण परिस्थिति पूरी तरह से बदल गयी. पूर्व बिहार में प्री मानसून की झमाझम बारिश का ट्रेंड काफी पुरानाबीते 23 अप्रैल से अबतक देश के सभी उद्योग, धंधे, वाहन बंद हैं. इस कारण वातावरण में धुंए, धूलकण, कार्बन मोनाऑक्साइड, सल्डर डाय ऑक्साइड समेत कई जहरीली गैस की मात्रा बिल्कुल शून्य हो गयी है.

इस कारण यूरोप, उत्तर मध्य एशिया होकर कश्मीर व तिब्बत पर मंडरा रहे पश्चिमी विक्षोभ को नेपाल, भूटान समेत देश के उत्तरी हिस्से में प्रवेश मे कोई बाधा नहीं आ रही है. सबसे ज्यादा बादलों का झुंड यूपी की तराई, उत्तर बिहार, पश्चिम बंगाल व नॉर्थइस्ट में प्रवेश करते हैं. इसकी मुख्य वजह बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बनना है. हवा के निर्वात को भरने के लिए पश्चिमी विक्षोभ प्रवेश कर जाता है. यह सिलसिला नया नहीं है, बल्कि हिमालय के निर्माण के समय से ही जारी है. दरअसल हाल के वर्षों में अचानक हुए जलवायु परिवर्तन के कारण बिहार व बंगाल में प्रवेश करने वाले कालबैसाखी या मैंगो शॉवर नामक पश्चिमी विक्षोभ कम सक्रिय होता था. जबकि भागलपुर व सीमांचल के इलाके में प्राचीन काल से प्री मानसून में झमाझम बारिश होती रही है.

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