बिहार के 6 जिलों में नाटकों का मंचन करेगी NSD की टीम, भागलपुर से होगी शुरुआत

Bihar News: नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा की टीम राज्य के छह जिलों भागलपुर, दरभंगा, मुंगेर, पूर्णिया, सहरसा व पूर्वी चंपारण में नाटकों का मंचन करेगी. इसकी शुरुआत भागलपुर से होगी, जहां तीन नाटकों का मंचन होगा.

By Anand Shekhar | September 14, 2024 8:55 PM

Bihar News: विश्व के अग्रणी नाट्य प्रशिक्षण संस्थानों में से एक और भारत में अपनी तरह का एकमात्र संस्थान राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD), दिल्ली की टीम भागलपुर पहली बार तीन नाटकों का मंचन करेगी. भागलपुर में एनएसडी प्रशिक्षण का आयोजन वर्षों पूर्व कर चुका है. लेकिन ऐसा पहली बार होगा, जब एनएसडी की टीम की ओर से मंचित नाटकों को भागलपुर में देखा जा सकेगा. यह आयोजन राज्य के छह जिले भागलपुर, दरभंगा, मुंगेर, पूर्णिया, सहरसा व पूर्वी चंपारण में होगा. शुरुआत भागलपुर से हो रही है. यहां टाउन हॉल में मंचन होने की उम्मीद है.

जोर-शोर से तैयारी कर रहा जिला प्रशासन

जिला प्रशासन के स्तर से इसकी तैयारी जोर-शोर से की जा रही है. जिला कला संस्कृति पदाधिकारी अंकित रंजन ने बताया कि पहले तो पांच ही जिलों में आयोजन का निर्णय था. बाद में काफी कोशिश के बाद जिलों की सूची में भागलपुर का नाम भी जुड़ पाया. यह बेहद खुशी की बात है कि एनएसडी के मंझे हुए कलाकारों की अदाकारी भागलपुर में देखने को मिलेगी.

एनएसडी रंगमंडल के चीफ ने भेजा है प्रोग्राम का ब्योरा

एनएसडी के रंगमंडल कंपनी के चीफ राजेश सिंह ने नाटकों के कार्यक्रम का ब्योरा भेज दिया है. इसके बाद बिहार सरकार के सांस्कृतिक कार्य निदेशालय की निदेशक रूबी के निर्देश पर भागलपुर में तैयारी की जा रही है. एनएसडी की रिपर्टरी कंपनी का 60वां समारोह के तहत यह आयोजन होगा. तैयारी के तहत संबंधित जिलों में ऑडिटोरियम, 45 सदस्यों के लिए आवासन, चीफ ऑफ रिपर्टरी, नाटक निर्देशक और वरिष्ठ अभिनेता अजय कुमार के लिए ठहरने की व्यवस्था की जा रही है. रिपोर्टरी कंपनी अपने साथ ध्वनि, प्रकाश और सेट सामग्री लायेगी.

किस जिले में कब से कब तक रहेगी टीम

  • भागलपुर : 02 से 05 अक्तूबर
  • पूर्णिया : 06 से 10 अक्तूबर
  • दरभंगा : 11 से 15 अक्तूबर
  • मोतिहारी : 16 से 19 अक्तूबर
  • प्रश्चिम चंपारण : 20 से 21 अक्तूबर

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इन नाटकों का होगा आयोजन

  • ताजमहल का टेंडर : सम्राट शाहजहां ने इपीडब्ल्यूडी के मुख्य इंजीनियर गुप्ताजी को आमंत्रित किया और अपनी दिवंगत पत्नी मुमताज की याद में एक संग्रहालय बनाने का सपना साझा किया. बहुत विचार-विमर्श के बाद वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि उनकी याद में एक मकबरा बनाया जाना चाहिए और वह चाहते हैं कि इसका नाम ताजमहल रखा जाये. एक चतुर, भ्रष्ट अधिकारी गुप्ताजी ने सम्राट को नौकरशाही और लालफीताशाही के जाल में फंसा दिया, जिससे कई हास्यास्पद स्थितियां पैदा हो गयीं. ताजमहल के टेंडर नोटिस को जारी करने में ही हास्यास्पद नौकरशाही प्रक्रिया में 25 साल लग गये. ताजमहल के टेंडर समकालीन समय के सफल व्यंग्यों में से एक है.
  • बाबूजी : बाबूजी नाटक हमारे समाज में एक ऐसे तरीके का प्रतिनिधित्व करता है, जो स्वतंत्रता और शर्तों के साथ जीवन जीना चाहता है. नाटक का नायक बाबूजी एक ऐसा व्यक्ति है, जो अपने जीवन में सामाजिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ अपने भीतर के कलाकार को भी जीवित रखना चाहता है. नौटंकी जैसे लोकनृत्य में उसका शौक है, लेकिन इस नौटंकी के प्रति उसका प्रेम उसके पारिवारिक जीवन को भी नष्ट कर देता है. पत्नी, बेटा, उसके अपने साथी और समाज के लोग उसका साथ नहीं देते. उसे अपने ही घर से निकाल दिया जाता है. बाबूजी नाटक हमारे सबसे प्रेरणादायक और सबसे प्रसिद्ध भारतीय रंगमंच व्यक्तित्व स्व बीवी कारंत को एक श्रद्धांजलि है.
  • माई री मैं का से कहूं (संगीतमय प्रस्तुति) : विजयदान देथा लिखित कहानी दुविधा माई री मैं का से कहूं (स्त्री की इच्छा और उसकी भावनाओं और सामाजिक मर्यादा के बीच द्वंद्व की कथा है. आज के इस प्रगतिशील समाज के सामने, जो कि स्त्रियों को पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर चलने और समान अधिकार प्रदान करने की बात करता है. स्त्री आज भी अपनी मानसिक और शारीरिक अधिकारों के इस्तेमाल के लिए स्वतंत्र नहीं है. इसी पर आधारित यह कहानी है.

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