गौतम वेदपाणि, भागलपुर: कोरोना महामारी का हाल के 14 माह पूरा होने को है. इस भयावह समय के बीच सबसे ज्यादा असर छोटे बच्चों की पढ़ाई पर पड़ गया है. कक्षा 8 से बारहवीं तक के बच्चे ऑनलाइन एजुकेशन का लाभ आंशिक रूप से उठा रहे हैं. वही कक्षा नर्सरी से कक्षा एक और कक्षा दो से कक्षा 7 तक के बच्चे ऑनलाइन एजुकेशन के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं पा रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह घर में इंटरनेट कनेक्शन, मोबाइल, टेलीविजन व अन्य डिवाइस का न होना है. प्रभात खबर ने जिले के कई सरकारी स्कूलों के शिक्षकों व शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों से बात की.
जानकारी दी गयी कि प्राइवेट स्कूल के बच्चे नियमित रूप से ऑनलाइन एजुकेशन से जुड़े हैं, जबकि सरकारी स्कूलों के 95% से अधिक बच्चे इस नयी सुविधा का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं. जिला शिक्षा कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार जिले में कक्षा एक से कक्षा 8 तक के करीब 5 लाख बच्चे हैं. वहीं कक्षा 9 से कक्षा बारहवीं तक के बच्चों की संख्या करीब दो लाख हैं. शिक्षा विभाग की ओर से कक्षा 9 से बारहवीं तक के बच्चों के लिए व्हाट्सएप व अन्य माध्यम से नोट्स उपलब्ध कराये जा रहे हैं. हाईस्कूल और इंटर स्कूलों के व्हाट्सएप ग्रुप में 50% स्कूल पाठ्य सामग्री को भेज रहे हैं . ऐसे में जिले के करीब 5 लाख बच्चे सरकारी स्कूलों के ऑनलाइन एजुकेशन से वंचित है. बच्चे पढ़ाई से दूर हो चुके हैं, यानी पढ़ाई-लिखाई से उनका नाता नहीं रह गया है. ये बच्चे न तो ऑनलाइन क्लास कर रहे हैं और न ही घर पर पढ़ाई ही कर रहे.
शिक्षा विभाग की ओर से जूनियर व सीनियर कक्षा के बच्चों के लिए ई-लर्निंग की व्यवस्था की गयी है. इसके तहत सोमवार को विभाग ने ऑनलाइन एजुकेशन का एक गाइडलाइन जारी कर दिया है. इस अभियान के लिए शिक्षा विभाग ने दीक्षा मोबाइल ऐप को सहारा बनाया है. इसमें कक्षा 1 से बारहवीं तक की सभी पाठ्य सामग्री अपलोड की गयी है. वहीं शिक्षकों के लिए भी दिशा-निर्देश दिया गया है. सोशल मीडिया के सहारे बच्चों को पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराएं और कौन सी लिंक करें.
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सर्व शिक्षा अभियान के एडीपीसी जितेंद्र प्रसाद ने बताया शिक्षा विभाग के दीक्षा एक्टिव शिक्षकों को ऑनलाइन क्लास जारी रखने के लिए सभी सुविधा दी गयी है. अब शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वह अपने स्कूल के बच्चों से संपर्क करें. नियमित रूप से उन्हें ऑनलाइन कक्षा का अनुभव दें. वही अभिभावक भी अपने बच्चों को पढ़ाने में सक्रिय रहे
शिक्षा विभाग का कहना है इस समय गांव के 80% घरों में टीवी है. वहीं अभिभावकों से आग्रह है अपने घर का खर्च काट कर भी एक मोबाइल बच्चों को उपलब्ध जरूर कराएं. महामारी के कारण पढ़ाई का तरीका बदलना जरूरी है. ऐसे में अभिभावकों को भी अपने बच्चों को समय के साथ चलाने के लिए उन्हें टेक्निकल डिवाइस उपलब्ध कराना ही होगा.
बच्चों के अभिभावकों की मांग है सरकार की तरफ से बच्चों को मोबाइल दिया जाए. वही इंजीनियरों का कहना है 4 से ₹5000 में बच्चों की पढ़ाई के लिए बनाया जा सकता है.
– घरों में मोबाइल टीवी इंटरनेट कनेक्शन नहीं होना
– स्कूल और शिक्षक के द्वारा कोई संपर्क ना किया जाना
– गांव में जनप्रतिनिधि और सामाजिक कार्यकर्ताओं की उदासीनता
– कोरोना की विभीषिका से बच्चों में अवसाद
– परिवार की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गयी
POSTED BY: Thakur Shaktilochan