या अली, या हुसैन की सदा से गूंजा शहर
मुहर्रम की सातवीं तारीख रविवार को सराय स्थित किलाघाट इमामबाड़ा में फातिहा व नियाज कराने के लिए अकीदतमंदों की भीड़ उमड़ पड़ी.
मुहर्रम की सातवीं तारीख रविवार को सराय स्थित किलाघाट इमामबाड़ा में फातिहा व नियाज कराने के लिए अकीदतमंदों की भीड़ उमड़ पड़ी. भीड़ इतनी ज्यादा थी कि पैदल चलने तक की जगह नहीं मिल पा रही थी. मेला को लेकर पुलिस की पुख्ता व्यवस्था की गयी थी. दूसरी तरफ मुरादें पूरा होने पर बच्चे, युवा व बड़े पारंपरिक तरीके से पैकर बने थे. ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों की मुरादें पूरी होती है, वह पैकर बनते हैं. हजरत इमाम हुसैन की याद में पैकर बन कर शहर के इमामबाड़ों का भ्रमण करेंगे. या अली, या हुसैन को सदा लगाते रहेंगे. यह सिलसिला मुहर्रम की दसवीं तारीख तक चल रहता है. भीखनपुर जामा मस्जिद के इमाम कारी नसीम अशरफी ने बताया कि मुराद पूरी होने के लिए लोग कबूलती करते हैं. उनलोगों में से ही कुछ पैकर बनते है, कुछ लोग दी चार कबूलती के रूप में पूरा करते हैं, तो कुछ लोग सारी उम्र पैकर बनने का इरादा करते हैं. उधर, सराय में सेंट्रल मुहर्रम कमेटी ने भी कैंप लगाया था. कमेटी के अधिकारी डॉ फारूक अली , महबूब आलम, तकी जावेद आदि मौजूद थे. ————————– करबला से यहां लायी गयी मिट्टी – मुहर्रम कमेटी के संयोजक प्रो फारूक अली ने बताया कि किलाघाट सराय इमामबाड़ा आठ सौ साल से भी ज्यादा पुराना है. ऐसी मान्यता है कि बगदाद स्थित करबला मैदान से यहां मिट्टी लायी गयी थी. यह मिट्टी सराय इमामबाड़ा में दफन की गयी है. भागलपुर जिला का यह सबसे पुराना च पहला इमामबाड़ा है. लोगों की आस्था यहां से जुड़ी है. लोग अपनी मुरादों के लिए यहां आकर दुआ करते हैं. —————– इमामबाड़ों पर देर रात तक होता रहा फातिहा व नियाज – मुहर्रम की सातवीं तारीख को सराय किलाघाट स्थित इमामबाड़ा पर अकीदतमंदों की भीड़ जुटी. इमामबाड़ों पर देर रात तक फातिहा व नियाज कराने के लिए लोगों की भीड़ जुटी रही. राईन टोला सराय पंचायत कमेटी के सचिव बाबर अंसारी ने बताया कि सराय का शाही इमामबाड़ा लगभग तीन सौ वर्ष पुराना है. उसी दौर से अकीदतमंदों की भीड़ लगती आ रही है. पुलिस प्रशासन व मुहर्रम कमेटी का काफी सहयोग मिलता रहा है.
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