3500 एकड़ में हो रही है जैविक खेती, पर चार साल से नहीं मिल रहा है बाजार
शहर में हरी सब्जियों के कई बड़े-छोटे हाट-बाजार हैं, जहां तरह-तरह की हरी सब्जियां बिकती हैं. यहां के दुकानदारों को जैविक उत्पादों की जानकारी तक नहीं है.
-शहर के सामान्य सब्जी दुकानदारों को नहीं है जैविक उत्पादों की जानकारी
शहर में हरी सब्जियों के कई बड़े-छोटे हाट-बाजार हैं, जहां तरह-तरह की हरी सब्जियां बिकती हैं. यहां के दुकानदारों को जैविक उत्पादों की जानकारी तक नहीं है. जैविक खेती करने वाले किसानों की मानें तो उनके बीच जागरूकता की कमी है. जागरूकता कार्यक्रम नहीं हो रहा है. ग्राहक व दुकानदार के बीच सेतु का काम करने वाले का इंतजार है. ऐसे में 3500 एकड़ में जैविक खेती के बावजूद तीन साल से बाजार नहीं मिल पाया.
संयुक्त कृषि भवन परिसर में है जैविक हाट, अधिकतर समय लगा रहता है ताला
लाखों की लागत से तिलकामांझी स्थित संयुक्त कृषि भवन परिसर में जैविक हाट बनाया गया है. शुरुआत में यहां जैविक उत्पाद मिल रहे थे. अब यहां जैविक कतरनी, जैविक जर्दालू व कुछ सब्जियां कभी-कभी बिकती हैं. प्राय: यहां की दुकानें बंद रहती है.
2019-20 में दियारा क्षेत्र में 2000 एकड़ भूमि में शुरू हुई खेती
जिले के सात प्रखंडों में वर्ष 2019-20 में दियारा क्षेत्र में 2000 एकड़ भूमि में 2028 किसानों ने कृषि विभाग की मदद से जैविक खेती शुरू की. पहले तीन वर्षों तक किसानों को जैविक उत्पादों के लिए बाजार नहीं मिल सका था. फिर यहां जैविक हाट के लिए शेड तैयार किया गया. किसान यहां कभी आते, तो कभी नहीं आते है. दियारा क्षेत्रों में बाढ़ का पानी उतरा है और एक बार फिर खेती शुरू हुई है. कृषि विभाग कभी बाढ़ कभी सुखाड़ का इंतजार करता है, तो कभी फसल तैयार करने का इंतजार करता रहता है.इन प्रखंडों की 22 पंचायतों में शुरू करायी थी जैविक खेती
कृषि विभाग के प्रयास के बाद चार साल पहले जिले के सात प्रखंड सुल्तानगंज, नाथनगर, सबौर, कहलगांव, पीरपैंती, खरीक, रंगरा चौक की 22 पंचायतों में जैविक खेती शुरू करायी गयी थी. सभी पंचायत क्षेत्र दियारा में है. किसान जैविक तरीके से परवल, करेला, भिंडी, टमाटर, मटर, आलू, प्याज, ककड़ी, कद्दू, नेनुआ, हरी मिर्च, पपीता, केला, नीबू आदि सब्जी व फल की खेती कर रहे हैं. प्रदेश सरकार अंतर्गत कृषि विभाग की ओर से 24 समूह बनाये गये थे. प्रति एकड़ एक साल में किसान को 11500 रुपये मदद में मिली. इससे किसान खुद वर्मी कंपोस्ट तैयार करते हैं. साथ ही जैविक कीटनाशी, नीम का तेल आदि का इस्तेमाल करते हैं.अब नमामि गंगे व जैविक कॉरिडोर के तहत 3500 एकड़ में खेती
पहले नमामि गंगे के तहत और अब जैविक कॉरिडोर के तहत जैविक खेती का रकबा बढ़ाया गया है. पहले 2000 एकड़ में खेती हो रही थी, जो कि दियारा क्षेत्र में खेत है, जबकि अब सामान्य मैदानी भाग में 1500 एकड़ रकबा बढ़ाया गया. .बाजार के लिए अब तक क्या हुआ प्रयास
कृषि विभाग की ओर से समय-समय पर उनके उत्पादों के प्रचार-प्रसार के लिए मेला लगाया गया. किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक प्रदर्शनी लगायी गयी. उनके उत्पादों की गुणवत्ता के आधार पर पुरस्कृत किया गया. इसमें उनके उत्पाद की बिक्री भी हुई और उत्पादों की गुणवत्ता से आम लोग अवगत हुए. कहते हैं जैविक खेती करने वाले किसानजैविक खेती करने से लाभ है. लोकल मार्केट में भी ग्राहक अभी 10 प्रतिशत से अधिक कीमत दे रहे हैं, लेकिन जितना मेहनत है, उतनी कमाई नहीं हो पा रही है. इसके लिए भागलपुर समेत अन्य महानगरों में सब्जियों को पहुंचाना होगा. आम की तरह सब्जियों का भी निर्यात करना होगा. लोगों में जागरूकता की कमी है. पहले परशुरामपुर व एकचारी दियारा में खेती कर रहे थे और बढ़ाकर बंधु जयरामपुर पंचायत में खेती कर रहे हैं.
राकेश कुमार सिंह, किसान, पीरपैंती————–
जैविक उत्पादों को बाजार देने के लिए प्रचार-प्रसार की कमी है. ऑर्गेनिक कहकर रेट मिल रहा है, लेकिन जो मिलना चाहिए, वो नहीं मिल रहा है. वास्तविक खरीदार को सामान नहीं मिल रहा है, तो किसान को सही दुकानदार नहीं मिल पा रहा है. जैविक उत्पाद सामान्य उत्पाद से अधिक दिन तक टिकता है. लोगों के स्वास्थ्य के लिए अधिक फायदेमंद है. भागलपुर बाजार में सब्जी दुकानों में इसकी विशेषता से अवगत कराना होगा.गुंजेश गुंजन, किसान, कजरैली, नाथनगर
—————-भागलपुर के मुख्य सब्जी मंडी गिरधारी साह हाट में सब्जी की दुकान पिछले 30 साल से लगा रहे हैं. अब तक उन्हें जैविक सब्जी व फल की जानकारी नहीं है. यहां कोई ऐसी दुकान नहीं है, जहां ऐसी सब्जी व फल बिक रहे हैं. उनके पास जो उत्पाद उपलब्ध होता है, वही बेचते हैं. न ही विभाग के लोग आये हैं और न ही जैविक उत्पादक किसान.
मुन्ना महतो, सब्जी दुकानदार
—————कोट:-
किसानों को कई बार जैविक हाट तक आमंत्रित किया गया. इसके लिए बार-बार प्रयास किया गया. किसान लोकल मार्केट में अपने उत्पाद को बेच लेते हैं. जैविक उत्पादों के लिए महानगरों की एजेंसी से एग्रीमेंट कराने के लिए कृषि विभाग तैयार है. जैविक उत्पादों को सिलीगुड़ी, कोलकाता आदि क्षेत्र में पहुंचाने में मदद करेंगे. उन्हें मुंहमांगी कीमत मिलेगी. इसके लिए किसानों को तैयार होना होगा. कई बार किसानों को जागरूक करने के लिए विभाग की ओर से सेमिनार किये गये हें.अनिल यादव, जिला कृषि पदाधिकारी
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