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कृषि वैज्ञानिकों के सुझाए तरीकों से करें धान की खेती तो होगी अच्छी पैदावार, जानें बीज गिराने का तरीका, सही समय व अन्य जानकारी

सूबे में खरीफ मौसम में धान की खेती ज्यादातर क्षेत्रों में की जाती है. धान की अच्छी पैदावार के लिए स्वस्थ बिछड़े और समय पर खेती करना आवश्यक है. क्षेत्र में ऊपरी, मध्यम व निचले इलाके की भूमि पर धान की खेती होती है. बिहार कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ कहते हैं कि सभी तरह के धान की खेती के लिए स्वस्थ बिचड़ा उत्पादन महत्वपूर्ण स्थान रखता है. मौसम के भी इस बार धान की खेती के लिए उपयुक्त रहने की संभावना है. बीएयू के कुलपति डॉ आरके सोहन के अनुसार समय पर धान की खेती करने से किसानों को अच्छा मुनाफा होगा. विश्वविद्यालय के द्वारा गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध करायी जा रही है. किसानों को तकनीकी सहायता भी दी जायेगी.

By Prabhat Khabar News Desk | May 24, 2021 12:16 PM

सूबे में खरीफ मौसम में धान की खेती ज्यादातर क्षेत्रों में की जाती है. धान की अच्छी पैदावार के लिए स्वस्थ बिछड़े और समय पर खेती करना आवश्यक है. क्षेत्र में ऊपरी, मध्यम व निचले इलाके की भूमि पर धान की खेती होती है. बिहार कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ कहते हैं कि सभी तरह के धान की खेती के लिए स्वस्थ बिचड़ा उत्पादन महत्वपूर्ण स्थान रखता है. मौसम के भी इस बार धान की खेती के लिए उपयुक्त रहने की संभावना है. बीएयू के कुलपति डॉ आरके सोहन के अनुसार समय पर धान की खेती करने से किसानों को अच्छा मुनाफा होगा. विश्वविद्यालय के द्वारा गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध करायी जा रही है. किसानों को तकनीकी सहायता भी दी जायेगी.

बिचड़ा गिराने का तरीका

धान का बिचड़ा सूखी व नम विधि से गिराया जाता है. नम विधि काफी बेहतर है. नम विधि से धान की खेती करने के लिए केवाल दोमट में नर्सरी डालते हैं. इस विधि में अंकुरित बीज का प्रयोग काफी उपयुक्त होता है. अंकुरित बीज करने के लिए बीजों को 10 से 15 घंटे के लिए पानी में भिगो दें. पानी से निकालकर जूट की बोरी में डाल कर लकड़ी के गुटके के ऊपर 10 से 18 घंटे के लिए अंकुरित होने के लिए रखें. बीच-बीच में बीज पर पानी के छींटे से नम करते रहें. अंकुरित बीज को बोरी से निकाल कर लगभग दो घंटे तक छाया में सुखा दें. खेत को अच्छी तरह से कादो कर समतल कर लेना चाहिए.

बुआई के समय रखें ध्यान

बुआई के समय खेत की सतह पर हल्का पानी अर्थात चिपचिपा पानी रहना चाहिए. बुआई के तीन से चार दिनों तक केवल खेत की सतह को भीगा कर रखते हैं. नर्सरी में बोये बीज को पक्षियों से बचाना चाहिए. नर्सरी में उचित नमी हमेशा बनी रहे. जिंक की कमी होने पर एक किलोग्राम जिंक सल्फेट व आधा किलोग्राम चूना 50 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए. बिचड़ा 15 दिन का हो जाये, तब प्रति 100 वर्ग मीटर क्षेत्रफल नर्सरी में दो किलोग्राम यूरिया का छिड़काव करना चाहिए. 25 दिनों का हो जाये, तो रोपाई का कार्य कर लेना चाहिए.

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बिचड़ा गिराने का समय, प्रभेद व अवधि

145 से 160 दिनों की लंबी अवधि वाले प्रभेदों के लिए धान का किस्म राजश्री, सबौर श्री, राजेंद्र महसूरी एक, स्वर्णा एमटीयू 7029, स्वर्णा सब एक व सबौर संपन्न का बिचड़ा 25 मई से 10 जून के बीच गिरा देना चाहिए. 120 से 145 दिनों की अवधि के प्रभेद के लिए धान की किस्म सीता, राजेंद्र श्वेता, बीपीटी 5204, सबौर अर्धजल व सबौर हर्षित है, जिसका बिचड़ा 10 जून से 21 जून के बीच गिरा देना चाहिए. 75 से 115 दिनों की कम अवधि वाले प्रभेद के लिए तुरंता, प्रभात, सहभागी शुष्क, सम्राट, सबौर दीप का बिचड़ा 25 से 10 जुलाई के बीच गिरा देना चाहिए.

भागलपुर कतरनी के बिचड़े का समय 

सुगंधित धान का किस्म सुगंधा टाइप-3, राजेंद्र सुभाषिनी, सबौर सुरभित व राजेंद्र कस्तूरी है. इस प्रभेद का बिचड़ा 25 जून से 10 जुलाई के बीच गिरा देना आवश्यक है. भागलपुर कतरनी का बिचड़ा 15 से 30 जुलाई के बीच का उत्तम समय है. शंकर धान के विभिन्न प्रभेद का आठ से 21 जून के बीच बिचड़ा गिरा देने से अच्छी पैदावार होती है.

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

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