शब्दयात्रा भागलपुर की ओर से गुरुवार को हास्य-व्यंग के कवि रामावतार राही की प्रथम पुण्यतिथि पर ऑनलाइन भावांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसकी अध्यक्षता लघु कथाकार पारस कुंज ने की और कहा कि राही जी की लोकप्रियता और महत्ता इसी बात से लगायी जा सकती है कि, मंचों पर गाये उनके गीतों को टेपरिकॉर्डर में रिकॉर्ड कर श्रोता घरों में भी जाकर सुना करते थे. बिहार अंगिका अकादमी पटना के निवर्तमान अध्यक्ष डॉ लखनलाल सिंह आरोही ने कहा कि हरिशंकर परसाई की परंपरा में अंगभूमि के शिखर व्यंग्यकार रामावतार ””””राही”””” हिन्दी व्यंग्य को अपने तेजाबी व्यंग्य के अवदान से समृद्ध कर भागलपुर की अस्मिता को गौरवान्वित करने वाले स्तम्भ थे. मुरारी मिश्र ने कहा- इस संतनगर में था इंसान बड़ा प्यारा, सबको हंंसाने वाला खुद रोता था बेचारा….पद सुनाया. पत्रिका ””””की संपादक अनामिका शिव ने कहा अमर रहे उनकी हंंसी, अमर रहे उनका व्यंग, शब्दों से जिसने लिखी, जीवन की हरेक तरंग…सुनाया. दिवंगत राही की पुत्री कविता राही ने अपनी वेदना और पिता की सीख को याद किया. विनय सौरभ, अंगिका ध्वनि वैज्ञानिक डॉ रमेश मोहन आत्मविश्वास, कवयित्री मीरा झा, सुधीर कुमार प्रोग्रामर, कमलकांत, डॉ स्वराक्षी स्वरा ने भी हिस्सा लिया.
हिंदी पत्रकारिता दिवस पर संगोष्ठी आयोजित
स्वतंत्र पत्रकार परिषद एवं साहित्य सफर के संयुक्त तत्वावधान में शिक्षण संस्थान, मंदरोजा में हिंदी पत्रकारिता दिवस पर हिंदी पत्रकारिता और देश की आज़ादी विषयक संगोष्ठी हुई. अध्यक्षता परिषद के अध्यक्ष रंजन कुमार राय ने की. संगोष्ठी का उद्घाटन जगतराम साह कर्णपुरी ने किया. जगतराम साह कर्णपुरी ने कहा कि भारत में हिंदी पत्रकारिता का एक लंबा इतिहास रहा है. 30 मई 1826 को कोलकाता से प्रकाशित साप्ताहिक प्रथम पत्र उदंत मार्तंड हिंदी पत्रकारिता का उद्भव कहलाता है, जिसका श्रेय कानपुर निवासी पंडित युगल किशोर शुक्ल को जाता है. प्रेम कुमार सिंह ने कहा कि अखबार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ होता है. हिंदी पत्रकारिता का आजादी के आंदाेलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही. मौके पर राजीव रंजन, नवल किशोर सिंह, शिवम कुमार, गोपाल और महेंद्र आर्य उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है