घर बनाना शुरू भी नहीं हुआ और दे दी दूसरी किस्त, भागलपुर के सन्हौली में पीएम आवास योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा
भागलपुर के जगदीशपुर प्रखंड की सन्हौली पंचायत में नौ आवासों में पकड़ी गई हेराफेरी की पुष्टि हो गई है. यहां नूरजानी ने घर बनाना शुरू भी नहीं किया और दूसरी किस्त की राशि दे दी, पलायित गीता के आवास का लाभ भी दूसरे की जमीन पर दे दिया गया. ये गड़बड़ी किसी अधिकारी ने नहीं बल्कि आम लोगों ने पकड़ी है. अब सवाल है कि अगर आमलोग ने शिकायत दर्ज नहीं करायी होती, तो क्या फाइलों में ही दबी रह जाती सरकार की महत्वाकांक्षी योजना की गड़बड़ियां. पढ़िए इस पूरे मामले पर भागलपुर से संजीव झा की रिपोर्ट...
PM Awas Yojana: प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में लगातार व्यापक गड़बड़ियां सामने आ रही हैं. एक से बढ़ कर एक खुलासे हो रहे हैं. इस कड़ी में जगदीशपुर प्रखंड की सन्हौली पंचायत में हुई गड़बड़ियां चौंकाने वाली हैं. लाभुक नूरजानी ने घर बनाना शुरू भी नहीं किया और इसे दूसरी किस्त की राशि का भुगतान कर दिया गया. गीता स्थायी रूप से पलायन कर चुकी है, आवास का लाभ दूसरे की जमीन पर दे दिया गया. नौ आवासों में इस तरह की गड़बड़ी वर्षों से होती रही.
हैरान करने वाली बात यह है कि जिला प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी. प्रखंड प्रशासन भी अंजान रहा. जब निर्माण कार्य में गड़बड़ियों के मामले जोर पकड़ने लगे, तो जिला स्तर से इसकी जांच उन्हीं से करायी गयी, जिनके कार्यालय को आवास योजना की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी है. जांच के दायरे में सिर्फ उन्हीं आवास को रखा गया, जिनमें गड़बड़ी होने के आरोप लगे थे. आखिरकार आरोप सत्य पाये गये.
किसी अधिकारी ने नहीं, आमलोग ने पकड़ा मामला
सन्हौली पंचायत में गड़बड़ी किसी अधिकारी ने नहीं, बल्कि आमलोग ने पकड़ी. मामले की सीपीग्राम पोर्टल के माध्यम कुमार विक्रम नाम के व्यक्ति ने शिकायत दर्ज करायी थी. कुल नौ आवास में गड़बड़ी होने की शिकायत की. जिसके बाद जगदीशपुर के बीडीओ से जांच करायी गयी. जांच में गड़बड़ी का आरोप सत्य पाया गया.
कार्रवाई की जद में आयीं सिर्फ आवास सहायक
बीडीओ की जांच रिपोर्ट सिर्फ ग्रामीण आवास सहायक वीणा रंजन को दोषी पाया गया. बता दें कि ग्रामीण आवास सहायक सबसे निचले स्तर यानी ग्राम पंचायत में काम करने वाले कर्मी होते हैं, जिनकी नियुक्ति संविदा पर होती है. इस मामले में ग्रामीण आवास सहायक के अलावा कोई दोषी नहीं पाये गये. इस कारण सिर्फ आवास सहायक वीणा रंजन को स्पष्टीकरण पूछा गया. स्पष्टीकरण में उन्होंने अलग-अलग आवास के लिए अलग-अलग जवाब दिया है. किसी में लिखा कि उनका नया पदस्थापन था. उन्हें लाभुक ने दिग्भ्रमित किया. किसी में लिखा कि उन्होंने जियो टैगिंग जानबूझ कर नहीं किया. किसी में लिखा कि उन्हें जमीन संबंधी जानकारी नहीं है.
यह हुई कार्रवाई
इस मामले में ग्रामीण आवास सहायक वीणा रंजन पर डीडीसी ने कार्रवाई की है. इस बाबत गत 10 जुलाई को आदेश की कॉपी जारी की गयी है. वीणा रंजन जगदीशपुर की सन्हौली पंचायत की तत्कालीन ग्रामीण आवास सहायक हैं. वर्तमान में नाथनगर की निस्फअंबे पंचायत में पदस्थापित हैं. जुलाई 2024 से जून 2026 तक उनके मूल मानदेय में 25 प्रतिशत की कटौती कर दी गयी है. भविष्य में कार्य में लापरवाही होने पर अनुबंध रद्द करने की चेतावनी दी गयी है. सुझाव दिया गया है कि वे चाहें तो इस आदेश के मामले में नामित अपीलीय प्राधिकार के समक्ष 30 दिनों के भीतर अपील कर सकती हैं.
किस आवास में क्या गड़बड़ी मिली
- पीएमएवाइ आइडी : बीएच3950498, लाभुक : उमा देवी, मानक स्तर तक आवास निर्माण के बिना ही किसी अन्य के पूर्ण आवास का जियो टैगिंग कर दिया गया.
- पीएमएवाइ आइडी : बीएच3616487, लाभुक : ममता देवी, मानक स्तर तक आवास निर्माण के बिना ही किसी अन्य के पूर्ण आवास की जियो टैगिंग कर दी गयी.
- पीएमएवाइ आइडी : बीएच4898246, लाभुक : प्रीति देवी, आवास प्लिंथ लेवल तक बना था. लेकिन इसे पूर्ण बताते हुए राशि का भुगतान कर दिया गया.
- पीएमएवाइ आइडी : बीएच4042986, लाभुक : मोहन मंडल, आवास पूर्ण हो गया. लेकिन वास्तविक आवास को छोड़ दूसरे के आवास का जियो टैगिंग कर दिया गया.
- पीएमएवाइ आइडी : बीएच1753024, लाभुक : पिंकी देवी, आवास प्लिंथ लेवल तक ही बना था. लेकिन आवास को पूर्ण बताते हुए सारी राशि का भुगतान कर दिया गया.
- पीएमएवाइ आइडी : बीएच4883620, लाभुक : नूरजानी, आवास निर्माण का कार्य आरंभ नहीं हुआ. लेकिन दूसरी किस्त की राशि का भी भुगतान कर दिया गया.
- पीएमएवाइ आइडी : बीएच1360885, लाभुक : सरजुन साह, आवास रूफ कास्ट लेवल तक ही बना. लेकिन किसी अन्य के आवास का जियो टैगिंग कर निर्माण बता दिया गया.
- पीएमएवाइ आइडी : बीएच2190894 लाभुक : गीता देवी, लाभुक स्थायी रूप से पलायित हैं. दूसरे की जमीन पर आवास निर्माण कर दिया गया.
- पीएमएवाइ आइडी : बीएच4008096, लाभुक : शीबू देवी, वर्ष 2016-17 में योजना का लाभ दिया गया था. लिंटर तक निर्माण हुआ, पर सारी राशि देकर निर्माण पूर्ण बता दिया गया.