केस डायरी में पुलिस को हो सहुलियत, साइबर एक्सपर्ट दीपक बना रहे एप

केस के अनुसंधान और मामले के ट्रायल में पुलिस की ओर से बनायी जाने वाली केस डायरी सबसे महत्वपूर्ण होती है. अधिकतर मामलों में देखा गया है कि पुलिस पदाधिकारी जांच के दौरान केस डायरी को हर वक्त अपने साथ लेकर नहीं चलते, जिससे अनुसंधान के दौरान आये नये तथ्यों को डायरी में नोट करने में कई चूक हो जाती है या फिर छूट जाती है. ऐसे में हमारे बिहार के ही साइबर एक्सपर्ट पुलिस की सहुलियत के लिए स्टेशन डायरी का एक एप बना रहे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | May 26, 2020 11:57 PM

भागलपुर : केस के अनुसंधान और मामले के ट्रायल में पुलिस की ओर से बनायी जाने वाली केस डायरी सबसे महत्वपूर्ण होती है. अधिकतर मामलों में देखा गया है कि पुलिस पदाधिकारी जांच के दौरान केस डायरी को हर वक्त अपने साथ लेकर नहीं चलते, जिससे अनुसंधान के दौरान आये नये तथ्यों को डायरी में नोट करने में कई चूक हो जाती है या फिर छूट जाती है. ऐसे में हमारे बिहार के ही साइबर एक्सपर्ट पुलिस की सहुलियत के लिए स्टेशन डायरी का एक एप बना रहे हैं.

हालांकि उसे बनाने का काम अभी अधूरा है. उक्त एप के बनते ही वह उसे सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत कर उसे मान्यता देने की अर्जी देंगे और उसे देश भर की पुलिस को इस्तेमाल करने की भी दरखास्त करेंगे.अरवल के दीपक कुमार वर्ष 2009 से ही साइबर एक्सपर्ट की भूमिका में निजी कंपनियों सहित पुलिस-प्रशासन को मदद करते आ रहे हैं. उन्होंने साइबर अपराध को लेकर अपना सबसे पहला प्रेजेंटेशन और ट्रेनिंग भागलपुर पुलिस को ही वर्ष 2011 में दिया था. वह राज्य ही नहीं बल्कि देशभर की पुलिस को साइबर अपराध से निबटने के लिए प्रशिक्षण दे रहे हैं. मुजफ्फरपुर के चर्चित रेलवे का फर्जी वेबसाइट बना उस पर भर्ती के नाम पर लोगों से करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये की ठगी की गयी थी, उसका उद्भेदन भी दीपक कुमार के ही रिपोर्ट पर हुआ था.

दीपक कुमार ने बताया कि किसी भी कांड के अनुसंधान के दौरान पुलिस अपने साथ केस डायरी लेकर नहीं जाती. वह एक कागज के टुकड़े या रफ डायरी में अनुसंधान में आयी बातों को दर्ज करती है और बाद में उसे केस डायरी में चढ़ाती है. ऐसे में कई जगहों पर पुलिस से कई चूक हो जाती है. इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने ‘ई सूट’ नाम से एक एप बनाने के बारे में सोचा, जिससे पुलिस को केस डायरी लिखने में काफी मदद मिलेगी. उक्त एप कोई भी पुलिस पदाधिकारी अपने मोबाइल पर लोड कर सकेंगे.

अगर सरकार या विभाग उक्त एप को मान्यता देती है, तो उक्त एप में लॉगइन के लिए हर पदाधिकारी के पास अपना लॉगइन आइडी और यूनिक पासवर्ड होगा.किस तरह से काम करेगा एपसाइबर एक्सपर्टने बताया कि ‘ई सूट’ एप के बन जाने के बाद उसे किसी भी स्माॅर्टफोन से गुगल प्ले स्टोर पर जाकर डाउनलोड किया जा सकता है. उक्त एप खुलते ही स्क्रीन पर डिजिटल पेन या डिजिटल स्लेट के माध्यम से लोग अपने कागज की तरह ही उस पर लिखेंगे और एप स्वत: ही फाॅट को लेकर उसे डिजिटल कंवर्ट कर लेगा. उक्त एप्प में अनुसंधानकर्ता या पुलिस कर्मी घटनास्थल या घटना के जांच के दौरान सीधे अपने मोबाइल से मौके पर ही केस डायरी लिख सकेंगे. उक्त एप में टाइम या लोकेशन फीड करने की जरूरत नहीं होगी. मोबाइल टॉवर से ही उक्त एप टाइम और लोकेशन ले लेगा.

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