पुलिस प्रशासन को बच्चों के प्रति संवेदनशील रहने की जरूरत है. बच्चों को सुधरने का मौका देना चाहिए. उन्हें मुख्यधारा में जोड़ने के लिए जेजे एक्ट के प्रावधानों को जानना होगा. उक्त बातें गुरुवार को एक होटल के सभागार में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के प्रशिक्षक संजय मिश्रा ने कही. मौका था समाज कल्याण विभाग, बिहार सरकार की ओर से बाल तस्करी से आजादी विषयक एक दिवसीय उन्मुखीकरण सह संवेदीकरण कार्यशाला का.
बच्चों को अच्छा नागरिक बनाने के लिए देना होगा सुधारात्मक व सकारात्मक माहौल
उप विकास आयुक्त अनुराग कुमार ने कहा कि बच्चे बहुत संवेदनशील होते हैं. उनको बचपन में जैसा माहौल और परवरिश दी जायेगी, वे वैसे ही बन जायेंगे. इसलिए एक अच्छा नागरिक बनाने के लिए हमें बच्चो को सुधारात्मक और सकारात्मक माहौल देना होगा. उन्होंने जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा संचालित योजनाओं विशेषकर परवरिश तथा स्पांसरशिप के लाभुको की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया. साथ ही बच्चा कानूनी रूप से गोद लेने पर बल दिया, ताकि गोद लिए गये बच्चों को जैविक बच्चे की तरह माता- पिता से संपत्ति व अन्य अधिकार प्राप्त हो सके. पॉक्सो के मामले में अनुसंधान के दौरान सही प्रक्रिया का पालन करने पर विस्तार से बात की तथा गलतियों से बचने की सलाह दी.कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत करते हुए जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक विकास कुमार ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य बाल संरक्षण से जुड़े सभी स्टैक होल्डर के बीच आपसी समझ व समन्वय बढ़ना है.
————कार्यशाला में हुए शामिल
कार्यशाला में भागलपुर पुलिस जिला के 42 थानों, नवगछिया पुलिस जिला के 17 थानों तथा भागलपुर रेलवे पुलिस व जीआरपी से एक- एक प्रतिभागियों ने भाग लिया. साथ ही बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष व सदस्यों, किशोर न्याय परिषद के सदस्य, सभी बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, महिला पर्यवेक्षिका, श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी. राजकीय बालिका इंटर विद्यालय, भागलपुर के प्राचार्य, विभिन्न बाल संरक्षण संस्थानों के प्रतिनिधि, जिला बाल संरक्षण इकाई के कर्मियों तथा चाइल्ड हेल्पलाइन के कर्मियों ने भी हिस्सा लिया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है