भागलपुर में इस बार हो सकता है एक अरब से अधिक ऊनी कपड़ों का कारोबार, कई बाहरी राज्यों से आते हैं कपड़े
भागलपुर शहर उलेन कपड़ों के लिए भी बड़ा बाजार है. यहां से रोजाना डेढ़ करोड़ से अधिक का उलेन कपड़ों का कारोबार होता है. पूर्णिया, कटिहार, सहरसा, जमुई, मुंगेर, बांका, खगड़िया ही नहीं बल्कि समीपवर्ती प्रांत के जिलों साहेबगंज, गोड्डा, दुमका, साहेबगंज, राजमहल आदि स्थानों पर उलेन कपड़ों की सप्लाई होती है. पूरे सीजन में इस बार एक अरब से अधिक उलेन कपड़े का कारोबार की संभावना है. कोरोना काल में आवागमन की परेशानी बढ़ गयी है. लोग सीमित खरीदारी कर रहे हैं. ऐसे में पिछले बार से इस बार 30 फीसदी तक कम कारोबार होने की संभावना है.
भागलपुर शहर उलेन कपड़ों के लिए भी बड़ा बाजार है. यहां से रोजाना डेढ़ करोड़ से अधिक का उलेन कपड़ों का कारोबार होता है. पूर्णिया, कटिहार, सहरसा, जमुई, मुंगेर, बांका, खगड़िया ही नहीं बल्कि समीपवर्ती प्रांत के जिलों साहेबगंज, गोड्डा, दुमका, साहेबगंज, राजमहल आदि स्थानों पर उलेन कपड़ों की सप्लाई होती है. पूरे सीजन में इस बार एक अरब से अधिक उलेन कपड़े का कारोबार की संभावना है. कोरोना काल में आवागमन की परेशानी बढ़ गयी है. लोग सीमित खरीदारी कर रहे हैं. ऐसे में पिछले बार से इस बार 30 फीसदी तक कम कारोबार होने की संभावना है.
रोजाना एक लाख रुपये से अधिक का कारोबार
थोक कपड़ा व्यवसायी श्रवण बाजोरिया ने बताया कि शहर में 125 से अधिक थोक उलेन कपड़ों की दुकानें हैं. इसके अलावा शहर में 400 से अधिक खुदरा दुकानें हैं, जो 2000 से लेकर 40 हजार रुपये तक रोजाना उलेन कपड़े का कारोबार करते हैं. थोक कपड़े के व्यवसायी रोजाना एक लाख रुपये से अधिक का कारोबार करते हैं.
कोरोना संकट से व्यापार मंदा है
पिछले बार इस समय में ठंड कम होने के कारण सवा से डेढ़ लाख रुपये का रोजाना कारोबार करते थे. इस बार ठंड समय पर आ गया है. फिर भी कोरोना संकट से व्यापार मंदा है. एक ठंड के सीजन में एक कारोबारी कम से कम एक करोड़ रुपये का लक्ष्य जरूर रखता है. दूसरे उलेन कपड़े का कारोबारी मो गफ्फूर ने बताया कि पिछले बार इस समय में 40 से 50 हजार रुपये का कारोबार हो जाता था, इस बार ठंड है तो कारोबार बढ़ने की उम्मीद है. अभी कुछ कहा नहीं जा सकता. कोरोना संकट बरकरार है.
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भा रहा है जयपुरी रजाई, फैंसी कंबल, कार्डिगन व चिंगूर
बाजार में जयपुरी रजाई, फैंसी कंबल, कार्डिगन, चिंगूर, इनर आदि बिक रहे हैं. उलेन कारोबारी ने बताया कि चिंगूर रजाई व कंबल जैसी चीज है, जो हल्की होती है और अधिक गरमी देता है. यह 550 से 1000 तक उपलब्ध है. बाजार में डेढ़ किलो की अच्छी रजाई आयी है, जो 1800 से 2200 तक उपलब्ध है.
कोरोना ने रोका हिमाचल के दुकानदारों का कदम
लगातार 37 वर्षों से हिमाचल व तिब्बत के दुकानदार ठंड के दिनों में अपना कारोबार करते थे. यहां के लोगों को भी रियायत दर पर अच्छा चीज मिल जाती थी. इस बार कोरोना संकट के कारण उन्हें भागलपुर पहुंचना मुश्किल हो रहा है. पोताला मार्केट के प्रधान पुथ्सोक जी ने बताया कि जिलाधिकारी से स्वीकृति के लिए पत्र लिखा है. यदि स्वीकृति मिल जायेगी तो वे भागलपुर पहुंचकर अपनी दुकान लगा लेंगे. उनका कहना है कि यहां के लोगों का काफी प्यार मिलता है, जिसके कारण यहां पर उनका कारोबार अच्छा हो जाता है.
Posted by: Thakur Shaktilochan