चादरपोशी कर मांगी भाईचारा की दुआ

हबीबपुर स्थित हजरत हबीब शाह रहमतुल्लाह अलैह का सालाना उर्स-ए-पाक सोमवार को धूमधाम से मनाया गया.

By Prabhat Khabar News Desk | January 27, 2025 9:23 PM

हबीबपुर स्थित हजरत हबीब शाह रहमतुल्लाह अलैह का सालाना उर्स-ए-पाक सोमवार को धूमधाम से मनाया गया. इसे लेकर दरगाह शरीफ को सजाया व संवारा गया था. दरगाह शरीफ की जियारत के लिए लोगों की भीड़ लगी रही. मगरिब के नमाज के बाद मजार शरीफ पर चादर पोशी की गयी. लोगों ने देश में भाईचारा व तरक्की की दुआ मांगी. वहीं, ईशा की नमाज के बाद मिलादुन्नबी कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया, जो देर रात तक चलता रहा.

एमपी से आये मुफ्ती जफर नूरी ने कार्यक्रम को खिताब करते हुए कहा कि बुजुर्गों ने हमेशा से लोगों की भलाई के लिए काम किया है. उनसे निस्बत रखने वालों को दीन व दुनिया में कामयाबी मिलती है. उनके दरगाह में न कोई बड़ा है, न कोई छोटा है. सब एक बराबर है. दरगाह में आने वालों को फैजयाबी मिलती है. कार्यक्रम को सैयद शहनवाज आलम शहबाजी ने भी संबोधित किय. संचालन मोहम्मद इसराईल कानपुरी कर रहे थे. जबकि यूपी से आये जिया यजदानी , साजिद बरेली शरीफ, गुलाम सरवर सिलीगुड़ी आदि ने हजरत की शान में एक से बढ़कर एक नातिया कलाम पेश किया. नातिया कलाम सुन लोग झूम उठे थे. मौके पर हबीबीया कमेटी के सचिव मोहम्मद रिजवान आलम, अध्यक्ष मोहम्मद मिंटू आदि सदस्य मौजूद थे.

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मस्जिदों व घरों में रातभर जाग कर की इबादत –

इस्लाम धर्म के मुख्य त्योहारों में से शब-ए-मेराज एक है. इस्लामिक कैलेंडर के रजब माह की 27वीं तारीख यानी सोमवार को मनाया गया. लोगों ने मस्जिदों व घरों में रातभर जाग कर इबादत की. गुनाहों की माफी मांगी. ये रात बेहद पाक मानी जाती है. मंगलवार को लोग नफील का रोजा रखेंगे.

भीखनपुर जामा मस्जिद के इमाम कारी नसीम अशरफी ने बताया कि इसी रात पैगंबर मोहम्मद साहब ने कुछ ही घंटों में सातों आसमानों की सैर करते हुए उनकी मुलाकात अल्लाहताला से हुई थी. इसलिए इस रात मुस्लिम समाज के लोग अल्लाह ही इबादत करते हैं. उन्होंने बताया कि शब-ए-मेराज की रात मुसलमानों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. यह घटना पैगंबर मुहम्मद साहब के जीवन का प्रमुख हिस्सा माना जाता है. इस रात को अल्लाह अपने बंदों के करीब होते हैं. उनकी दुआ को अल्लाह ताला कबूल फरमाते हैं. इबादत कर लोग अपने गुनाहों की माफी मांगते है. उन्होंने बताया कि इस रात का लोगों को शिद्दत से इंतजार रहता है. दूसरे दिन यानी मंगलवार को लोग नफील की रोजा रखते हैं. रोजा रखने वालों को अल्लाह इनाम फरमाते हैं.

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