जैन धर्मावलंबियों के लिए चातुर्मास आध्यात्मिक साधना का अद्भुत अवसर है. इस बार जैन धर्मावलंबियों का 20 जुलाई से चातुर्मास का शुभारंभ होगा और 31 अक्तूबर को समापन. इसे लेकर 12वें तीर्थंकर वासुपूज्य की पंचकल्याणक भूमि जैन सिद्धक्षेत्र, कबीरपुर को सजाने का काम चल रहा है. जैन श्रद्धालु पूजन व ध्यान की तैयारी में जुट गये हैं.
जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव से लेकर अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी और उनके बाद भविष्य काल में चातुर्मास धार्मिक पर्व के रूप में मनाया जाता है. सिद्धक्षेत्र मंत्री सुनील जैन ने बताया कि चातुर्मास यानी जीवन परिवर्तन की साधना का प्रवेश द्वार है. यह मुनिराज, आर्यिका, श्रावक, श्राविका को प्रत्येक दृष्टि से तप, त्याग, संयम, साधना के आनंद उत्साह अहिंसा व मधुरता का आस्वादन कराने वाली धन्य घड़ियां हैं.
मंत्री सुनील जैन ने बताया कि इन चार माह में वर्षा अत्यधिक होती है. जीव हिंसा से बचने के लिए,जीव रक्षा के लिए, अहिंसा का पालन करने के लिए और आत्म साधना के लिए सबसे महत्वपूर्ण है. वर्षा योग का संबंध केवल वर्षा से नहीं है, बल्कि वर्ष में 12 माह होते हैं. इनमें तीन मौसम गर्मी, सर्दी, और वर्षा ऋतु है. वर्षा ऋतु में चार माह का वर्षा योग होता है. आषाढ़ से कार्तिक चार माह आत्म साधकों को संस्कार व आत्मा को शुद्ध करने में अनुकूलता जरूरी है. जैन धर्म में अहिंसा पर सबसे ज्यादा जोर दिया गया है, इसलिए चातुर्मास का विशेष महत्व है.
चार माह तक होता है उत्सव
चातुर्मास जैन श्रद्धालुओं के लिए पावन होता है. इस पावन पर्व का समापन इस बार 31 अक्तूबर को होगा. 20 जुलाई को आषाढ़ शुक्ल पक्ष पर चातुर्मास का शुभारंभ होगा. इसके बाद सावन, भादो आश्विन पूरा करके कार्तिक कृष्ण पक्ष तक इस साल चातुर्मास मनाया जायेगा. 31 अक्तूबर को चातुर्मास पूरा हो जायेगा. चातुर्मास के दौरान पड़ने वाले मुख्य पर्व20 जुलाई 24 – चातुर्मास प्रारंभ
21 जुलाई : अष्टानिका व्रत पूर्ण 30 जुलाई -भगवान कुंथुनाथ गर्भ कल्याणक
11 अगस्त : मोक्ष सप्तमी भगवान पार्श्वनाथ मोक्ष कल्याणक
18 अगस्त : सोलह कारण व्रत प्रारंभ
19 अगस्त : रक्षाबंधन
8 सितंबर : दस लक्षण महापर्व प्रारंभ
11 सितंबर : भगवान पुष्पदंत मोक्ष कल्याणक
17 सितंबर : भगवान वासुपूज्य मोक्ष कल्याणक, दस लक्षण महापर्व समापन
18 सितंबर : क्षमा वाणी पर्व
30 अक्टूबर : धनतेरस
31 अक्टूबर : चातुर्मास पूर्ण
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