अब साल भर ले सकेंगे नीरा का मजा, BAU को मिला ताड़ के नीरा से पाउडर बनाने की प्रक्रिया का पेटेंट

बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक ने तार के नीरा का पाउडर बना कर उसे सालों संरक्षित करने की प्रक्रिया विकसित की है. इस प्रक्रिया को अब जर्मनी से पेटेंट भी मिल गया है.

By Anand Shekhar | June 24, 2024 10:11 PM

Neera powder making Process patented by BAU: बिहार कृषि विश्वविद्यालय के खाद्य विज्ञान व कटाई उपरांत प्रौद्योगिकी विभाग के वैज्ञानिक डॉ मो वसीम सिद्दीकी ने नीरा को पाउडर के रूप में संरक्षित करने की एक प्रक्रिया विकसित की है. ताड़ के नीरा से पाउडर बनाने की प्रक्रिया को जर्मनी से पेटेंट प्राप्त हुआ है. यह तकनीक नीरा उत्पादकों के लिए नये उद्यमशीलता के रास्ते खोलेगी और लंबे समय तक नीरा को सुरक्षित रखने में सहायक होगी. यह पेटेंट तकनीक पूरे साल नीरा के स्वाद और आनंद लेने में मदद करेगी. ताजा नीरा का परीक्षण अत्यंत कठिन होता है इसलिए यह तकनीक स्प्रे ड्रायर का उपयोग करके ताजा नीरा को पाउडर में परिवर्तित कर देती है.

गर्म हवा के प्रवाह में होता है वाष्पीकरण, फिर सूखे कनों को कंटेनर में किया जाता है एकत्रित

इस विधि में महीन बूंदों को सूखे पाउडर में परिवर्तित करना शामिल है. इन चरणों में वाहक सामग्री की विभिन्न सांद्रता के साथ नीरा का समरूपीकरण शामिल है. बाद में एक नोजल के माध्यम से होमोजेनाइज्ड नीरा घोल का परमाणु कारण होता है इसके बाद गर्म हवा के प्रवाह के संपर्क में तेजी से विलायक वाष्पीकरण होता है. इन सूखे कणों को कंटेनर के अंदर एकत्र किया जाता है.

एक साल तक एयरटाइट कंटेनर में रखा जा सकता है सुरक्षित

पाउडर को एक साल तक एयरटाइट कंटेनर में स्टोर किया जा सकता है.पानी में घोलने के बाद इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. इसको घोलने के बाद इसके संवेदी गुण लगभग ताजा नीरा के समान होते हैं.इसके अलावा सुविधा के लिए, इसके आयामों को किसानों की आवश्यकता के अनुसार संशोधित किया जा सकता है. बिहार सरकार ने नीरा आधारित उद्योगों को शुरू किया है ताकि इससे स्वास्थ्य उपभोग को बढ़ावा दिया जा सके और टोडी निकालने वालों के समुदाय को रोजगार मिल सके, टोडी के अलावा, नीरा को स्क्वैश, आरटीएस, गुड़ आदि जैसे विभिन्न उत्पादों में संसाधित किया जा सकता है.

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