टीएमबीयू के पीजी उर्दू विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष रही प्रो कमर जहां का निधन मंगलवार को भीखनपुर स्थित निवास पर हो गया. उनके निधन से शिक्षा व उनके जानने वालों में शोक की लहर है. बरहपुरा स्थित कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया.वहीं, अंजुमन बाग व बहार बरहपुरा संस्था ने भी उर्दू की मशहूर अफसाना निगार प्रो कमर जहां के निधन पर शोक प्रकट किया है. प्रो कमर जहां एसएम कॉलेज में उर्दू की हेड रहीं है. इसके बाद पीजी उर्दू विभाग की विभागाध्यक्ष भी बनी. साथ ही मानविकी संकाय की डीन व सीनेट सदस्य भी रही है. दो दर्जन से ज्यादा छात्र-छात्राओं को शोध कराया है. संस्था के महासचिव डाॅ परवेज ने कहा कि प्रो कमर जहां के निधन से शिक्षा के क्षेत्र व उर्दू जगत को बड़ा नुकसान हुआ है. उनके लिखे अफसानों से बिहार का नाम पूरी उर्दू दुनिया में रौशन है. सामाजिक कार्यकर्ता हबीब मुर्शीद खां ने कहा कि 1964 से वह उर्दू अदब जुड़ी रही है. उनकी मशहूर पुस्तकों में चारहगर, अजनबी चेहरे, पिंजड़े का कैदी, मेयार शामिल है. विवि के कुलपति प्रो जवाहर लाल, रजिस्ट्रार प्रो रामाशीष पूर्वे, डीएसडब्ल्यू प्रो विजेंद्र कुमार, एसएम कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ मुकेश कुमार सिंह आदि ने प्रो कमर जहां के निधन पर शोक संवेदना प्रकट की है. कहा कि उनके निधन से विवि को बड़ा नुकसान है. शोक प्रकट करने वालों में शादाब आलम, जौसर अयाग, डाॅ अरशद रजा, डाॅ सिददीक, शहजोर अख्तर, प्रो शाहीद जमाल रजमी, प्रो अतीक उर रहमान, नैयर हसन, दाऊद अली अजीज, एकदम सिद्दीकी, शौकत अली उर्फ बंटी, फारूक आजम, सादिक हसन आदि शामिल हैं.
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