पुल घाट की दुर्दशा देख श्रद्धालुओं ने पकड़ लिये खतरनाक घाट की भी राह
एक वक्त था, जब गंगा स्नान करना है, तो बरारी पुल घाट का नाम लोगों की जुबान पर पहले आता था. पानी से लबालब घाट पर न सिर्फ भागलपुर के लोग, बल्कि बांका, गोड्डा के लोग भी यहां आते थे. मधेपुरा, पूर्णिया से भी लोग विक्रमशिला सेतु पार कर पुल घाट पर स्नान करने में पहुंचते थे. लेकिन अब वो नजारे नहीं दिखते.
एक वक्त था, जब गंगा स्नान करना है, तो बरारी पुल घाट का नाम लोगों की जुबान पर पहले आता था. पानी से लबालब घाट पर न सिर्फ भागलपुर के लोग, बल्कि बांका, गोड्डा के लोग भी यहां आते थे. मधेपुरा, पूर्णिया से भी लोग विक्रमशिला सेतु पार कर पुल घाट पर स्नान करने में पहुंचते थे. छठ पर्व के नहाय-खाय, गंगा दशहरा, गुरु पूर्णिमा आदि पर्वों में यहां भीड़ ऐसी होती थी कि पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता था. चाहि कितना भी खूबसूरत दूसरा घाट हो, पर पुल घाट पर भीड़ कम नहीं होती थी. लेकिन गंगा का यह ऐतिहासिक पुल घाट अब लोगों को अखरने लगा है. वे खतरनाक या असुरक्षित घाटों की ओर शिफ्ट कर चुके हैं. गंगा के दक्षिणी किनारे इंजीनियरिंग कॉलेज के पीछे और गंगा के उत्तरी तट पर महादेवपुर घाट पर भीड़ बढ़ने लगी है. ———————- …इसलिए जाते हैं लोग इंजीनियरिंग कॉलेज घाट इंजीनियरिंग कॉलेज के पीछे का घाट और जियाउद्दीन चौका घाट साथ-साथ स्थित है. यहां कई लोगों की मौत पिछले 10 वर्षों में डूबने से हो चुकी है. इस कारण इसे अनुमंडल प्रशासन ने खतरनाक घाट घोषित कर दिया है. बावजूद इसके गंगा की मुख्य धारा से इस घाट के जुड़े होने के कारण यहां का पानी बिल्कुल स्वच्छ है. प्रवाह अनवरत रहने के कारण गहरे पानी में न जाकर किनारे में भी लोगों को स्वच्छता का एहसास होता है. …कीचड़ है, पर साफ है महादेवपुर घाट गंगा के उत्तरी किनारे पर विक्रमशिला सेतु के ठीक बगल में स्थित है महादेवपुर घाट. यहां पास में ही श्मशान घाट भी है. जब दूसरे जिलों के श्रद्धालुओं को बरारी पुल घाट पर गंदे पानी और गंदगी व दुर्गंध के चलते मन भिनभिनाने लगा, तो अगली बार से पुल घाट आना छोड़ दिया. वे लोग जाह्नवी चौक पर ही गाड़ी से उतर कर महादेवपुर घाट जाने लगे. नतीजा यह हुआ कि पुल घाट सूना पड़ने लगा और महादेपुर घाट पर लोगों की संख्या बढ़ने लगी.
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