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Bhagalpur News: बसोका से जैविक जर्दालू व दुधिया मालदह प्रमाणित होने के बाद मिला क्यूआर कोड, न्यूजीलैंड व अमेरिका से डिमांड

जीआई टैग प्राप्त जर्दालू की मार्केटिंग को लेकर भागलपुरी जर्दालू उत्पादक संघ है सजग, बेंगलुरु में तैयार हुआ है क्यूआर कोड

जीआई टैग प्राप्त जर्दालू की मार्केटिंग को लेकर भागलपुरी जर्दालू उत्पादक संघ है सजग, बेंगलुरु में तैयार हुआ है क्यूआर कोड

जिले में जैविक उत्पादों को बढ़ावा देने की कवायद शुरू हो गयी है. विदेशों में जैविक उत्पादों की डिमांड को देखते हुए एवं अधिक से अधिक मुनाफा कमाने के लिए किसान सजग दिख रहे हैं. ऐसे में अपने जैविक प्रोडेक्ट के रूप में भागलपुरी जर्दालू व दूधिया मालदह की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए क्यूआर कोड तैयार कराया है. किसानों द्वारा अधिक से अधिक उपज प्राप्त करने के लिए तरह-तरह के रासायनिक खादों और जहरीले कीटनाशकों के उपयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति खराब हो हो रही है. साथ ही वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है. मनुष्य के स्वास्थ्य खराब हो रहे हैं. जैविक खेती से जल, भूमि, वायु तथा वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए किसानों का उत्साह देखते ही बन रहा है. भागलपुरी जर्दालू उत्पादक संघ के कोषाध्यक्ष कृष्णानंद सिंह ने बताया कि जैविक तरीके से उत्पादित जर्दालू व दूधिया मालदह को बसौका से प्रमाणित कराया, ताकि लोगों की विश्वसनीयता बढ़ सके. बसोका की ओर से जेविक जर्दालू आम व दूधिया मालदह को लैब में टेस्ट किया गया. फिर सर्टिफिकेट मिला, ताकि इसे विदेश निर्यात करने में दिक्कत नहीं हो. उन्होंने बताया कि यह क्यूआर कोड बसोका से सर्टिफिकेट मिलने के बाद क्यूआर कोड तैयार हुआ.

क्यूआर कोड से उपभोक्ताओं को स्पष्ट होगा, आम जैविक है या नहीं

क्यूआर कोड से उपभोक्ता को स्पष्ट हो जायेगा कि यह आम जैविक है या नहीं. इसी आधार पर देश के विभिन्न हिस्सों में जैविक जर्दालू व दुधिया मालदह की विश्वसनीयता बढ़ेगी. आत्मा के उप परियोजना निदेशक प्रभात कुमार सिंह ने बताया कि जैविक खादों एवं दवाइयों का उपयोग कर अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है, जिससे भूमि, जल एवं वातावरण शुद्ध रहेगा. इन्हीं सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार के अलावा राज्य सरकारें भी कह रही है कि किसान जैविक खेती करें. इसके लिए जैविक खेती की प्रचार-प्रसार भी कर रही है.

आम उत्पादक किसान कृष्णानंद सिंह ने बताया कि इस बार न्यूजीलैंड व अमेरिका से भागलपुरी जर्दालू की डिमांड हुई है. निर्यात की तैयारी शुरू कर दी गयी है, ताकि गुणवत्तायुक्त आम को आगे भी वहां के लोग पसंद कर सकें.

क्या है बसोका

जैविक या पारंपरिक खेती से संबंधित फसलों के सर्टिफिकेशन के लिए बिहार राज्य बीज और जैविक प्रमाणीकरण एजेंसी-बसोका ने ऑनलाइन आवेदन मांगे हैं. सिर्फ बिहार ही नहीं, दूसरे राज्य के किसान भी बसोका के वेबसाइट पर आधार संख्या और बाकी की जानकारी देकर आवेदन कर सकते हैं. बता दें कि बसोका बिहार में पिछले तीन सालों से काम कर रही है. पहले बिहार के किसानों को भी जैविक प्रमाणन सिक्किम से कराना पड़ता था. अब बिहार के साथ अन्य राज्यों के किसानों को ऑनलाइन यह सुविधा मिल रही है.

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