Ramadan 2024: शाहजहां ने बनवायी थी शाहजहानी मस्जिद, जानें शहर की प्रमुख जुड़ी ये बातें..
Ramadan 2024 खानकाह स्थित हजरत शाहबाज रहमतुल्लाह अलैह से दुआ लेने के बाद शाहजहां बादशाह बने थे. इसके बाद बादशाह शाहजहां ने मस्जिद का निर्माण कराया था
Ramadan 2024 माहे रमजान को लेकर भागलपुर शहर समेत जिले की मस्जिदों में चहल-पहल बढ़ गयी है. बड़ी संख्या में इबादत करने के लिए रोजेदार मस्जिद पहुंच रहे हैं. नतीजतन इबादत करने के लिए जगह भी कम पड़ने लगी है. पांच वक्त के नमाज के अलावा तरावीह की विशेष नमाज अदा की जा रही है. शहर में ऐसी कई मस्जिदें हैं, जो वर्षों पुरानी है. 100 से 400 साल पुरानी मस्जिदों में नमाज अदा करने को लेकर लोगों की भीड़ ज्यादा होती है.
शाहजहानी मस्जिद मौलानाचक
खानकाह-ए-शहबाजिया स्थित शाहजहानी मस्जिद है. यह 400 साल पुरानी बतायी जाती है. मुफ्ती फारूक आलम अशरफी ने बताया कि बादशाह शाहजहां ने मस्जिद का निर्माण कराया था. खानकाह स्थित हजरत शाहबाज रहमतुल्लाह अलैह से दुआ लेने के बाद शाहजहां बादशाह बने थे. ऐतिहासिक मस्जिद होने के कारण शहर के तमाम मोहल्लों से लोग यहां नमाज अदा करने आते हैं.
तातारपुर जामा मस्जिद
तातारपुर में मुख्य सड़क के किनारे जामा मस्जिद है. यह 100 साल से भी पुरानी मस्जिद है. यहां तातारपुर के अलावा जब्बारचक सहित कई मोहल्लों के लोग नमाज अदा करने आते हैं. भीड़ ज्यादा होने के कारण कभी-कभी लोगों को जगह तक नहीं मिल पाती है.
बरहपुरा जामा मस्जिद
यह मस्जिद करीब 150 साल पुरानी है. यहां भी बरहपुरा मोहल्ले व आसपास के लोग नमाज अदा करने आते हैं. लंबे-लंबे मीनार व गुंबद मस्जिद का आकर्षण का केंद्र है. समाजसेवी सादिक हसन ने कहा कि मस्जिद में जगह की कमी नहीं है. एक बार में सात से आठ सौ लोग एक साथ नमाज अदा करते हैं.
जामा मस्जिद भीखनपुर
यह मस्जिद करीब 120 साल पुारानी है. मुख्य सड़क के किनारे स्थित होने के कारण यहां भी नमाजियों की अधिक संख्या रहती है. मस्जिद के इमाम कारी नसीम अशरफी ने कहा कि मस्जिद काफी पुरानी है. भीखनपुर के अलावा आसपास के मोहल्ले के लोग भी यहां नमाज अदा करने के लिए आते हैं.
शाही मस्जिद खलीफाबाग
शहर के बीचों-बीच यह मस्जिद स्थित है. यह मस्जिद भी करीब 200 साल पुरानी है. यहां शहर के कई मोहल्ले के अलावा दूर-दराज से आये लोग नमाज अदा करने के लिए आते हैं. माहे रमजान में मस्जिद में काफी संख्या में लोग इबादत करने के लिए आते है. जगह कम नहीं पड़ जाये. लोगों को परेशानी नहीं हो. ऐसे में पंडाल की व्यवस्था की जाती है.