संजीव,भागलपुर: इस साल फरवरी में आइपीएल मेगा ऑक्शन हुआ था. देश स्तर के कई खिलाड़ियों में करोड़ों की बोली लगी. जम कर पैसे बहाये गये लेकिन क्षेत्रीय स्तर पर आज भी खिलाड़ियों को सिर छुपाने तक की जगह नहीं है.
सैंडिस कंपाउंड में स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट से मैदान और नालियों को तैयार करने के लिए पैसे खर्च तो किये जा रहे हैं, लेकिन खेल और खिलाड़ियों के सामान रखने की जगह देने की चिंता नहीं है. स्थिति यह है कि कबाड़खाना की तरह एक कमरे का दफ्तर पिछले तीन साल से स्टोर रूम के रूप में उपयोग करने की मजबूरी बनी हुई है.
सैंडिस कंपाउंड में स्टेडियम के पास तीन साल पहले तक जिला क्रिकेट संघ का निचले तल पर एक कमरे में दफ्तर और ऊपरे तल पर स्टोर रूम हुआ करता था. स्टोर रूम की छत से बारिश का पानी रिसने लगा, तो स्टोर में रखी सारी सामग्री तीन साल पहले नीचे दफ्तर में लाकर रख दी गयी. छोटे से कमरे में चल रहे दफ्तर की स्थिति यह है कि एक कुर्सी पर भी कोई ठीक से बैठ नहीं सकते. धूल से भरे हुए इस कमरे में उन खिलाड़ियों के दर्जनों कप रखे हुए हैं, जो विभिन्न मैदानों पर खेले गये अंडर-16, अंडर-19 और हेमन ट्रॉफी मैच में जीते गये थे.
Also Read: Bihar: भागलपुर से देर शाम चलेगी विक्रमशिला समेत 3 ट्रेनें, साहिबगंज से ही लौट जायेगी मालदा-किऊल एक्सप्रेसवर्ष 2003 में सैंडिस कंपाउंड के इसी मैदान पर प्रसिद्ध खिलाड़ी महेंद्र सिंह धौनी ने अपने शुरुआती दौर में क्रिकेट मैच खेला था. यहां पर उनके द्वारा लगाये गये छक्के की तारीफ करते खिलाड़ी नहीं थकते. उस दौरान कुछ खिलाड़ियों व वर्तमान में जिला क्रिकेट संघ के संयुक्त सचिव सुबीर मुखर्जी ने तस्वीर खिंचाई थी. वह तस्वीर भी इस दफ्तर में धूल और कबाड़ के बीच दीवारों पर टंगी हुई है. यह देख कर सबको दुख होता है.
सैंडिस कंपाउंड मैदान में क्रिकेट खेल का अभ्यास करने के लिए जिले के आठ-10 इलाके से प्रतिदिन खिलाड़ी आते हैं. अकबरनगर, नवगछिया, गोपालपुर, गोराडीह, कहलगांव, सुलतानगंज, नाथनगर, सबौर, जगदीशपुर सहित नगर निगम क्षेत्र के सीनियर-जूनियर खिलाड़ी सुबह-शाम यहां आकर प्रैक्टिस करते हैं. प्रैक्टिस करने के बाद खिलाड़ी अपना किट बैग, विकेट, बॉल, चट्टी, दरी, कुर्सी, टेबल, मैट, नेट आदि ठूंस कर रख कर चले जाते हैं.
जिला क्रिकेट संघ के संयुक्त सचिव सह कोच सुबीर मुखर्जी ने बताया कि इस मैदान का स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट से जीर्णोद्धार हो रहा है, लेकिन यहां पर खिलाड़ियों के लिए ड्रेसिंग रूम, प्रेस बॉक्स, गैलरी की बहुत जरूरत है. खिलाड़ियों के लिए बॉलिंग मशीन, पीच पर पानी छिड़कने के लिए स्प्रिंकलर जरूरी है. इंटरनेशनल कोच की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि मैदान पर आनेवाले खिलाड़ी बेहतर सुविधा के बीच खेल कर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन देश स्तर पर करने के लिए खुद को तैयार कर सके.
क्रिकेट का दफ्तर गंदगी से भरा रहता है. वजह यह है कि दफ्तर में स्टोर का सामान रखना पड़ता है. असुविधा के बीच खेलने की मजबूरी है. इसे दुरुस्त करने के लिए प्रशासन ध्यान दे.
– पीयूष कुमार, क्रिकेट खिलाड़ी
पिछले पांच साल से अधिकारियों का मुआयना हो रहा है, लेकिन काम पूरा नहीं हुआ है. किसी भी खेल के लिए बेहतर सुविधा नहीं है. हर खेल के लिए एक ऑफिस तो स्मार्ट सिटी कंपनी को देना ही चाहिए.
– बासुकी नाथ मिश्रा, रणजी खिलाड़ी
रमतुल्ला शाहरूख : रणजी ट्रॉफी, मुस्ताक अली टी-20 व विजय हजारे ट्रॉफी
बासुकी नाथ मिश्रा : रणजी ट्रॉफी व मुस्ताक अली टी-20
विकास यादव : विजय हजारे ट्रॉफी व मुस्ताक अली टी-20
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Posted By: Thakur Shaktilochan