profilePicture

हमले की साजिश में रजिस्ट्रार की भूमिका

तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में 21 जुलाई को आयोजित गुरु-शिष्य परंपरा कार्यक्रम के दाैरान एबीवीपी के कार्यकर्ताओं की ओर से किये गये हमले की साजिश में रजिस्ट्रार डॉ विकास चंद्र की भूमिका होने का आरोप लगा है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 25, 2024 9:43 PM
an image

तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में 21 जुलाई को आयोजित गुरु-शिष्य परंपरा कार्यक्रम के दाैरान एबीवीपी के कार्यकर्ताओं की ओर से किये गये हमले की साजिश में रजिस्ट्रार डॉ विकास चंद्र की भूमिका होने का आरोप लगा है. यह आरोप कुलपति डॉ जवाहरलाल ने लगाया है. इस बाबत कुलपति ने रजिस्ट्रार को शाेकाॅज किया है. इसका जवाब 24 घंटे में मांगा गया है. शोकॉज में कुलपति प्रो जवाहर लाल ने रजिस्ट्रार पर तीन बिंदुओं को लेकर आरोप लगाया है. साथ ही कहा गया कि कार्रवाई के लिए पर्याप्त साक्ष्य है. दूसरी ओर इन गंभीर आरोपों को लेकर जब रजिस्ट्रार से बात कर उन्हें अपना पक्ष देने के लिए कहा गया, तो रजिस्ट्रार ने प्रभात खबर से सिर्फ इतना ही कहा कि उन्हें इस मसले पर कुछ नहीं कहना है. ये भी लगे हैं आरोप रजिस्ट्रार काे शाेकाॅज में कहा गया है कि पूर्व से जानकारी रहते हुए भी रजिस्ट्रार 21 जुलाई काे सीनेट हाॅल में आयोजित कार्यक्रम में लेट से पहुंचे. छात्रों द्वारा दुर्व्यवहार किये जाने के दौरान माैजूद रहते हुए भी रजिस्ट्रार ने अन्य शिक्षकों व कर्मियों की भांति बचाव का प्रयास नहीं किया. खुद काे अलग रखा. घटना के बाद कार्यक्रम जारी रहा, लेकिन रजिस्ट्रार कार्यक्रम से चले गये. एबीवीपी के जिस कार्यकर्ता कुणाल पांडेय ने मंच पर चढ़ कर कुलपति का हाथ खींचने का प्रयास किया, उसके साथ रजिस्ट्रार का फाेटाे सोशल मीडिया पर वायरल है. कुलपति ने कहा है कि देखा जा रहा है कि रजिस्ट्रार पद पर याेगदान देने के बाद से ही एबीवीपी अधिक सक्रिय हुआ है. …आखिर रजिस्ट्रारों से कुलपति की क्यों नहीं बनती ? वर्तमान में टीएमबीयू के रजिस्ट्रार डॉ विकास चंद्र हैं. इससे पहले डॉ गिरिजेश नंदन रजिस्ट्रार के पद पर थे. डॉ गिरिजेश से भी कुलपति डॉ जवाहर लाल की नहीं बनती थी. सिंडिकेट व सीनेट से पास हुई जरूरी फाइल भी डॉ गिरिजेश रोक दिया करते थे. बार-बार कुलपति के निर्देश के बाद भी पूर्व रजिस्ट्रार फाइलों को आगे नहीं बढ़ाते थे. इसकी वजह वह बताते थे कि फाइलों में कई त्रुटियां हैं. इस कारण कुलपति ने उन्हें सस्पेंड कर दिया था. फिर पूर्व रजिस्ट्रार डॉ गिरिजेश सस्पेंशन आदेश के खिलाफ हाइकोर्ट चले गये, लेकिन कोर्ट ने कुलपति के आदेश को जायज ठहराया. डॉ गिरिजेश के निलंबन के बाद डॉ विकास चंद्र को राजभवन ने बतौर रजिस्ट्रार नियुक्त किया. अब फाइलों को रोकने की वही कहानी एक बार फिर वर्तमान रजिस्ट्रार के कार्यकाल में भी दोहरा रही है. विवि के अन्य अधिकारी व कुलपति भी कहते हैं कि वर्तमान रजिस्ट्रार भी फाइलों का निष्पादन समय पर नहीं कर रहे. इस मामले में कुलपति व रजिस्ट्रार के पक्ष पर राजभवन या राज्य सरकार के स्तर से जांच नहीं होने से मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब बात कुलपति पर हुए हमले में रजिस्ट्रार की भूमिका के आरोप तक पहुंच चुकी है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version