भागलपुर जिले के नवगछिया के तेलघी निवासी डॉ राकेश चौधरी का पुत्र करण चौधरी शुक्रवार को यूक्रेन से बाहर निकलने के लिए 20 किलोमीटर पैदल चल कर रात में पोलैंड बॉर्डर पहुंचे थे. शनिवार को वापस लौटने को विवश किया गया. दिन-रात पैदल चलने के बाद सुबह सात बजे रविवार को पुन: लबीब नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी के हॉस्टल पहुंचे. अब तक करण को कुल 53 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा. हालांकि कंसल्टेंट के जरिये सोमवार को हंगरी बाॅर्डर जाने की तैयारी की गयी है. फिर भी माता-पिता की चिंता कम नहीं हो रही है.
लबीब में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे करण चौधरी को लगातार दो दिनों तक पैदल चलने पर पैर में छाले पड़ गये और सूजन हो गया. इससे न आराम किया जा रहा है और न ही नींद आ रही है. यूक्रेन में रूस के हमले के बाद बनी भयावहता के कारण कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है. हालत इतनी खराब है कि मेस तक खाने के लिए नहीं पहुंच पा रहे हैं.
पुत्र करण से संपर्क स्थापित हो पाया,तब माता-पिता में जान में जान आयी है. मां कंचन चौधरी बार-बार यही रट लगा रही है किसी तरह मेरे बेटे को लौटाकर ले आइये. दो दिन से माता-पिता भी सामान्य जिंदगी नहीं जी पा रहे हैं. हमेशा बेटा की चिंता सता रही है.
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बता दें कि भारत सरकार लगातार यूक्रेन में फंसे लोगों को अपने देश वापस ला रही है. शनिवार से भारतवापसी का सिलसिला शुरू हो गया है. यूक्रेन के पड़ोसी देशों की सीमा से भारतीय विमान छात्रों व अन्य लोगों को लेकर वतन वापस आ रही है. लेकिन इस समय अभी भी कई लोगों की ये शिकायतें सामने आ रही है कि पड़ोसी देश की सीमा काफी दूरी पर है और वर्तमान हालात ऐसे हैं कि वो वहां तक नहीं पहुंच पा रहे.
गौरतलब है कि बिहार के भी कई छात्र-छात्राएं यूक्रेन में फंसे हैं. रविवार को कुल 23 छात्र-छात्राओं को तीन अलग-अलग विमानों से पटना लाया गया. यूक्रेन में फंसे छात्रों को भारत सरकार दिल्ली व मुंबई तक मंगवा रही है. एयर इंडिया के विमान से सभी लोगों को लाया जा रहा है. वहीं पटना तक आने के लिए बिहार सरकार सारा इंतजाम कर रही है. दिल्ली व मुंबई से पटना तक आने का सारा खर्च नीतीश सरकार ही उठा रही है.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan