सावन की पहली सोमवारी पर जलार्पण के लिए शनिवार को सुलतानगंज से 50 हजार से अधिक कांवरिया बाबा धाम गये. उत्तर वाहिनी गंगा तट पर सुबह से दोपहर तक बोल बम के जयकारे लगाते हुए अजगैवीनगरी से बाबा धाम की ओर कांवरियों के रवाना होने का सिलसिला चलता रहा. धूप कम होने के बाद दोपहर बाद फिर से कांवरियों की भीड़ देर रात तक रही. सरकारी आंकड़े के अनुसार शनिवार को 233 डाक बम (04 महिला) और 48617 सामान्य कांवरियाें ने जल उठाया.
कोलकाता के युवा कांवरियाें का एक आठ सदस्यीय दल शनिवार को अजगैवीनगरी पहुंचा. इस जत्थे के 30 फीट का कांवर आकर्षण का केंद्र है. 30 लीटर गंगाजल और शान से लहराता तिरंगा लेकर जत्थे में शामिल कांवरिये बोल बम का नारा लगाते आगे बढ़ चले. कांवरियों ने कहा तिरंगा के साथ कांवर यात्रा करने से शिव भक्ति व देशभक्ति का समावेश होता है. ये लोग हर वर्ष कांवर लेकर जाते हैं. बाबा हर मनोकामना पूरी करते हैं.
श्रावणी मेला में कांवर यात्रा की परंपरा सदियों पुरानी है. शनिवार को कच्ची कांवरिया पथ के असियाचक समीप कांवरियों का रैला अनवरत बाबाधाम की ओर जा रहा था. दिन के दो बजे असम, महाराष्ट्र, दिल्ली, टाटानगर के कांवरियों के जत्थे होटल में भोजन कर रहे थे. कांवरिया संगीता देवी ने कहा बाबा वैद्यनाथ को जलार्पण करने से सकल मनोकामना की पूर्ति होती है. देवाधिदेव महादेव धूप, दीप, नैवेद्य चढ़ाने से उतना प्रसन्न नहीं होते, जितना कि उत्तर वाहिनी गंगा जल के एक बूंद से. मनोज बम कहते हैं कांवर यात्रा में न कोई छोटा, न बड़ा, न कोई अमीर और न कोई गरीब होता है, बस सभी कांवरिया होते हैं. शुद्ध मन से सुलतानगंज से जल लेकर देवघर जाकर बाबा वैद्यनाथ को जलार्पण करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.